नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम्स विभाग ने यमुना नदी को प्रदुषण मुक्त बनाने की प्राकृतिक तरीके से साफ़ करने के लिए वेटलैंड बनाने का निर्णय लिया है। बता दे कि यमुना नदी में केवल दिल्ली के तकरीबन 25 बड़े नालो का पानी बहकर आता है जिसके पानी की मात्रा लगभग 1500 मिलियन लीटर है। हालांकि यह पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) में ट्रीट होने के बाद यमुना में गिरता है, बावजूद इसके यमुना का पानी काफी दूषित होता जा रहा है। लेकिन अब यमुना के पानी को बिना एसटीपी और प्राकृतिक तरीके से स्वच्छ बनाने का शुरुआत होने जा रही है।
यमुना के पानी को स्वच्छ करने के लिए सेंटर फॉर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम्स विभाग द्वारा यमुना में वैटलैंड बनने का काम किया जा रहा है। जो यमुना के पानी को प्राकृतिक से साफ़ करने में सक्षम होगा, इस वैटलैंड प्रोजेक्ट को विभाग के सीनियर प्रोफेसर सीआर बाबू की निगरानी में यह कार्य किया जा रहा है। सरकार का प्लान है जल्द ही इस योजना के तहत यमुना में 11 और वेटलैंड तैयार करने का है।
इस वैटलैंड की सहायता से यमुना में गिरने वाले पानी को पूर्णतः प्राकृतिक तरीके के साफ़ किया जायेगा। इस तकनीक से डिजर्टेंट समेत अन्य हानिकारक केमिकलो को भी फ़िल्टर किया जा सकेगा, और सबसे बड़ी बात है इसके इस्तेमाल के लिए बिजली की आवश्यक्ता नहीं होगी। महारानी बाग नाले से रोजाना 250 से 500 एमएलडी सीवेज पानी यमुना में गिरता है जो अब साफ़ किया जा सकेगा, जिस लिए महारानीबाग के पास निर्मित वेटलैंड पर 25 हजार से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं। यमुना जल्द ही अपने पुराने रूप में वापस लौट जाएगी और पानी साफ होगा तो यमुना से लुप्त हो चुकी मछलियों के भी फिर से आने की संभावना भी बढ़ जाएगी।