मुंबई, 19 नवंबर (भाषा) एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी ने शनिवार को कहा कि भारत को 1000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 58 वर्ष का वक्त लगा, लेकिन अब हर 12 से 18 महीनों में वह अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1000 अरब डॉलर जोड़ेगा और 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
अडाणी ने लेखाकारों की 21वीं विश्व कांग्रेस में कहा कि एक के बाद एक आए वैश्विक संकटों ने कई धारणाओं को चुनौती दी है- मसलन चीन को पश्चिमी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को अपनाना चाहिए, धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत सार्वभौमिक हैं, यूरोपीय संघ एकजुट रहेगा और रूस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमतर भूमिका को स्वीकार करने के लिए मजबूर होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बहुस्तरीय संकट ने ऐसी महाशक्तियों की एकध्रुवीय या द्विध्रुवीय दुनिया के मिथक को तोड़ दिया है जो वैश्विक वातावरण में कदम रख सकती है और इन्हें स्थिर कर सकती हैं।’’ अडाणी ने कहा कि एक महाशक्ति को एक फलता-फूलता लोकतंत्र भी होना चाहिए लेकिन इस बात पर भी विश्वास करना चाहिए कि ‘लोकतंत्र की कोई एक समान शैली नहीं है।’
उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था की नींव प्रासंगिक हो सकती है और बहुमत वाली सरकार ने देश को राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में कई संरचनात्मक सुधार शुरू करने की क्षमता दी है। अडाणी ने आगे कहा,”जीडीपी को पहली बार हजार अरब डॉलर तक पहुंचने में 58 साल लगे, अगले एक हजार अरब तक पहुंचने में 12 साल और तीसरे हजार अरब डॉलर तक पहुंचने में सिर्फ पांच साल लगे।”
उन्होंने कहा, ”मेरा अनुमान है कि अगले दशक के भीतर भारत हर 12 से 18 महीनों में अपने जीडीपी में हजार अरब डॉलर जोड़ना शुरू कर देगा, जिससे हम 2050 तक 30 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राह पर आ जाएंगे और शेयर बाजार पूंजीकरण संभवतः 45,000 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। भारत वर्तमान में 3500 अरब डॉलर की जीपीडी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।”