केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी हैं। वह हाथरस के कांड में किसी काम को लेकर जा रहें थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने कप्पन को जनता को भड़काने जैसे आरोपी लगाए थे। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए जमानत रद्द कर दी थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने इस मामलें में कार्यवाही करते हुए जमातन दे दी है और कहा कि आगले 6 महिने तक दिल्ली में रहें और स्थानिय थाने में हाजिरी भरे। उसके बाद बाद वह केरल जा सकते हैं।
क्यों किया था पत्रकार को गिरफ्तार
यूपी के मथूरा से 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। वह हाथरस में पीडिता को इंसाफ दिलाने के लिए जा रहे थे। इस दौरान पुलिस ने रास्ते से गिरफ्तार करके गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धाराओ में केस दर्ज किया। केस हाई कोर्ट में भेजा तो वहा पर उनके खिलाफ गंभीर मामला बताते हुए जमानत खारिज कर दी थी। इसके बाद उनको जेल भेज दिया था।
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सर्वोच्च न्यायालय में दायर कि याचिका
पत्रकार पर लगे आरोपो की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की। इस मामलें को मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को जमानत पर रिहा करने पर सहमति जताई। इसके साथ में कहा कि, 6 महिने तक आपको दिल्ली में ही रहना होगा और पास के थाने में हाजिर होना होगा। इसके बाद आप केरल जा सकते हैं।
जस्टिस यूयू ललित ने यूपी सरकार से ये पूछा
पत्रकार कप्पन सिद्दीकी कप्पन की याचिका पर CJI जस्टिस यूयू ललित ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या कप्पन के पास से कोई विस्फोटक पदार्थ मिला था? या कोई ऐसी सामग्री मिली, जिससे लगता हो कि वो साजिश रच रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगता है कि अभी आरोप तय होने के चरण तक भी मामला नहीं पहुंचा है। इस पर यूपी सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि, कप्पन के पास से कोई विस्फोट नहीं मिला था।
उनकी कार से आपत्तिजनक साहित्य मिला था जो मालूम होता है कि वो PFI से जुड़ा है। इस पर CJI ने पूछा कि साहित्य में खतरनाक क्या लगता है? इस पर कप्पन के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि, साहित्य ये था कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ दिलाना है। साथ ही कहा कि कप्पन अक्टूबर 2020 से जेल में बंद है।