राजेश राठौर
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन(Sumitra Mahajan) को जबसे पद्मभूषण मिला है, तब से कोई न कोई उनके पास जाकर उनके नागरिक अभिनंदन करने की बात करता है। वैसे सांसद शंकर लालवानी जैसे नेताओं ने तो पहले ही कह दिया था कि ताई सम्मान कराने के लिए हां नहीं भरेगी, इसलिए मैं तो उनके सामने जाकर बोल नहीं पाऊंगा। बाकी जो लोग गए उनको भी मना कर दिया। ताई तो किताब लिखने के लिए भी बड़ी मुश्किल से तैयार हुई वह भी इस कारण से क्योंकि भाजपा नेता किरीट सोमैया की पत्नी मेघा उनसे लंबे समय से संपर्क में थी। दिल्ली में भाजपा नेताओं की पत्नियों का जो क्लब कमल के नाम से बना है। उनके साथ मिलकर मेघा चलाती थी।
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बस उसी करण ताई ने किताब लिखने की हां भर दी। वैसे ताई ने मेघा से किताब लिखने का एक बड़ा कारण यह बताया कि लिखने के बाद और छपने के पहले ताई ने छः महीने तक उस किताब की है। हर बात पढ़ी उसमें संशोधन करा दिए। तब कहीं जाकर किताब छपी। कल ताई की बातों से लगा कि वो ज्योति सिंधिया से कितना नजदीक है। ताई ने कहा कि जो काम करता है वह नेता मुझे पसंद है इसलिए मैंने नितिन गडकरी को किताब का विमोचन करने के लिए बुलाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा भी काम करने वाले नेता हैं, उनको भी बुलाया ताई ने। ताई ने यह भी बताया कि मैंने ज्योति सिंधिया को भी बुलाया था, क्योंकि जब वह विपक्ष के सांसद थे तब सबसे अच्छे तर्क के साथ लोकसभा में बोलते थे। कल के कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान को क्यों नहीं बुलाया।
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इसको लेकर भी अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस आयोजन में नहीं थे। मंच पर गिनती के नेता मौजूद थे, और गडकरी के संबंध कितने हैं। इसका अंदाज इस बात से पता चलता है कि दोनों एक दूसरे के बारे में काफी जानकारियां रखते हैं। ताई शिवराज से नाराज रहती है, इस तरह की खबरें भी हमेशा चलती रहती है, एक घंटे देरी से शुरू हुए कार्यक्रम में लोगों को रोके रखने के लिए संचालन कर रहे विकास दवे ने तमाम नेताओं की तारीखों में कसीदे काडना शुरू कर दिए, ताकि सब लोग तालियां बजाते रहे और हंसते रहे।
हालांकि दवे की बात का समर्थन करते हुए ताई ने यह भी राज खोल दिया कि मैंने ही दवे जी को कहा था कि लगातार बोलते रहे। ताई ने सम्मान करने से यह कर मना कर दिया की मुझे आप लोगों ने आठ बार चुनाव जीताया। जिसमें सिर्फ आप लोगों की भूमिका थी, इसलिए आपका सम्मान ही मेरा सम्मान है।ताई पर लिखी किताब मंच पर बैठे नेताओं को छोड़कर किसी को मुफ्त में नहीं मिली। यह बात सही है कि प्रभात प्रकाशन 300 की किताब डिस्काउंट के साथ 200 में बेची। हजार लोगों की उपस्थिति में से आधे लोगों ने तो किताब खरीदी होगी।