नई दिल्ली। प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत के बीमा क्षेत्र को भारी क्षति उठानी पड़ी है और यह आंकड़ा आगे ओर भी बढ़ सकता है। बताया गया है कि इस क्षति को यदि रोका नहीं गया तो बीमा क्षेत्र पर आगामी समय के दौरान विपरित असर भी देखा जा सकता है।
बता दें कि भारत में चक्रवाती तूफानों के साथ ही अन्य कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। यह दावा आईपीसीसी की एक रिपोर्ट मंे किया गया है और बताया गया है कि भारत में जलवायु परिवर्तन भले ही होता हो लेकिन इसका असर भारत के अन्य कई क्षेत्रों के साथ ही बीमा क्षेत्र में भी हो रहा है। इसे रोकने के कारगर उपाय जरूरी भी बताए गए है।
वादें अधिक होते है इसलिए
वैश्विक बीमा उद्योग ने जलवायु और उससे होने वाले नुकसानों की समीक्षा की है। समीक्षा में यह पाया गया है कि भारतीय बीमा कंपनियां बीमितों से अधिक वादें करती है। इनमें जलवायु जोखिमों से जुड़े ज्यादा वादें भी है और यही कारण है कि ज्यादा वादों का सामना करने से कहीं न कहीं नुकसान भी उठाना पड़ता है।
चुनौतियों का सामना भी
इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. साओन रे का कहना है कि बीते कुछ वर्षों से भारतीय बीमा कंपनियां विभिन्न चुनौतियों का सामना भी कर रही है। रे के मुताबिक विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बीमाकर्ताओं की भागीदारी कम आंकी जा रही है वहीं लोगों में भी बीमा की पैठ कम होने की बात सामने आई है।