Indore News : आईआईएम इंदौर के प्रबंधन में कार्यकारी स्नातकोत्तर कार्यक्रम – (ईपीजीपी) का 16वां बैच 04 अप्रैल, 2024 को प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने किया। इस अवसर पर श्री विशाल शर्मा, राष्ट्रीय प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष, यूएसआई कंसल्टिंग लीडर, डेलॉयट कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मुख्य अतिथि रहे। प्रो. सौरभ चंद्रा, चेयर – ईपीजीपी; प्रो. प्रशांत सलवान, डीन-प्रोग्राम्स और अन्य फैकल्टी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
एक वर्षीय आवासीय ईपीजीपी की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी और तब से अब तक का यह सबसे बड़ा (75 प्रतिभागियों वाला) बैच है। उद्योगों की गतिशील प्रकृति के अनुसार, यह कार्यक्रम बढ़ती मांगों के अनुरूप निरंतर कौशल अनुकूलन के महत्व को रेखांकित करता है। इसलिए, यह बैच एक रिव्युड पाठ्यक्रम पढ़ेगा, जो उन कौशलों को प्रदान करेगा जिन्हें ‘स्किल्स ऑफ़ फ्यूचर’ के रूप में पहचाना गया है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य लगातार बदलते पेशेवर परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए सक्षम बहुमुखी प्रबंधकों और लीडरों को तैयार करना है। इससे स्नातक होने के बाद बैच को अपने करियर में एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करने में मदद मिलेगी।
अपने संबोधन में प्रो. राय ने नए बैच को अंग्रेजी के शब्द – ‘क्राउन – CROWN’ से शिक्षा दी। उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को समझाया और विद्यार्थियों से उन कार्यों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया जो उन्हें वास्तव में पसंद हैं। उन्होंने उन्हें अपने समय का बुद्धिमानी से प्रबंधन करने की सलाह दी। अपने वास्तविक ‘स्व’ अर्थात अपनी पहचान पर विचार करने और समय के साथ सफलता की परिभाषा का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए नयी बैच को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, “सफलता के अपने वास्तविक अर्थ को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समय के साथ बदलता रहता है।”
प्रो. राय ने हर किसी से कुछ नया सीखने के प्रति उत्साह, खुलापन और स्वीकृति का भाव रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दूसरों से भी जितना सीख सकें, सीखें और उनसे प्रेरणा लें। साथ ही उन्होंने ज्ञान और बुद्धिमत्ता के बीच अंतर साझा किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान को जब लागू किया जाता है, तब वाज बुद्धिमत्ता बनता है। उन्होंने विकास और समझ को बढ़ावा देने के लिए विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के साथ संवाद को प्रोत्साहित करते हुए नेटवर्किंग के महत्व को रेखांकित किया और विद्यार्थियों को भिन्न विचारों वाले लोगों से से बातचीत करने के लिए प्रेरित किया, जिससे ज्ञान का विकास हो और नए विचार उत्पन्न हों।
अपने संबोधन में, शर्मा ने विद्यार्थियों को नए अनुभवों और कौशल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि अनुभवों में विविधता भविष्य में एक मजबूत नींव में योगदान देती है। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने शिक्षा से प्राप्त आत्मविश्वास पर प्रकाश डाला और तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य में प्रासंगिक बने रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी सार्वभौमिक रूप से मौजूदा मॉडलों को परिभाषित करने वाला और विभेदक कारक बनती जा रही है।”
इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रतिक्रिया और रचनात्मक आलोचना के मूल्य पर जोर दिया और इसे विकास के अवसर के रूप में देखा। श्री शर्मा ने भारतीय प्रमुखों की वैश्विक सफलता का श्रेय उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता और अद्वितीय अनुभवों का उपयोग करने की क्षमता को दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और मेंटल हेल्थ को भी महत्व दें, क्योंकि सफलता स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने समग्र विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, आप जैसे हैं, स्वयं को पसंद करें और स्वयं को स्वीकार करें।
प्रो.सौरभ चंद्रा ने नए बैच को नयी शुरुआत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रतिभागी अब आईआईएम इंदौर समुदाय के महत्वपूर्ण सदस्य हैं और समग्र रूप से समाज के भविष्य को आकार देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने न केवल मूर्त उपलब्धियों के मूल्य को रेखांकित किया, बल्कि व्यक्तिगत और सामूहिक विकास से मिलने वाली अथाह प्रसन्नता के अमूल्य स्वरूप पर भी जोर दिया।
प्रो. सलवान ने औद्योगिक परिदृश्य में आवश्यक कौशल को शामिल करके स्वयं के विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने पाठ्यक्रम की नवीन प्रकृति पर जोर दिया, जिसमें अवधारणा और सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होगा की विद्यार्थी न केवल प्रासंगिक ज्ञान से सुसज्जित हों, बल्कि तेजी से बदलते व्यावसायिक परिदृश्य में नवाचार करने की क्षमता से भी लैस हों।
नए बैच को संस्थान की सुविधाओं और पुस्तकालय संसाधनों के बारे में भी जानकारी दी गई। बैच में कुल 75 प्रतिभागी हैं जिनमें 12 महिला और 63 पुरुष प्रतिभागी शामिल हैं। उनकी 32.2 वर्ष की औसत आयु है, और औसत कार्य अनुभव 8.4 वर्ष है, जो उनके संबंधित क्षेत्रों में अच्छी तरह से निपुण समूह को दर्शाता है। ऑटोमोटिव, बीएफएसआई, परामर्श, शिक्षा, ऊर्जा/बिजली/तेल, सरकार, आईटी/आईटीईएस, विनिर्माण/इन्फ्रा, और अन्य क्षेत्रों जैसे उद्योगों से आए विद्यार्थियों का यह बैच कौशल और ज्ञान से पूर्ण है।