नई दिल्ली : ‘हम जीतेंगे- पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’, यह पांच दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला, जिसके अंतर्गत देश के गणमान्य लोग समाज को संबोधित करेंगे, आज सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी और पूज्य जैन मुनिश्री प्रमाणसागर के उद्बोधन से आरंभ हुई. उन्होंने भारतीय समाज से आह्वान किया कि कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए समाज के सभी सदस्य मजबूत संकल्प लें व घबराहट, डर, हताशा और क्रोध से बचें . दोनों आध्यात्मिक गुरूओं ने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय समाज में वर्तमान चुनौती सहित किसी भी चुनौती का सामना कर उस पर विजय प्राप्त करने की क्षमता है.
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण है – सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना.
अपने संबोधन में सदगुरु जग्गी वासुदेव जी ने कहा, “..घबराहट, हताशा, भय, क्रोध, इनमें से कोई भी चीज हमारी मदद करने वाली नहीं है. यह एक-दूसरे पर उंगली उठाने का समय नहीं है. यह एक साथ मिलकर खड़े होने का समय है – एक राष्ट्र के रूप में ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के रूप में.”
उन्होंने कहा, ”यह आवश्यक है कि हम जो भी काम कर रहे हैं, उन्हें करना जारी रखें. सारी गतिविधियां एकदम बंद करने से राष्ट्र या दुनिया को इस चुनौती का समाधान नहीं मिलेगा क्योंकि इससे हम पर और ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ेगा. इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम क्या काम कर रहे हैं, बिना लोगों के नजदीक जाए व संक्रमित हुए किस प्रकार हम अपने काम को जारी रखते हैं, यह करना हमारा मूलभूत दायित्व है.”
सद्गुरू ने कहा, ”यह समय बहुत गहरे जाकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने का है जो मानव के भीतर जाकर उसके स्वस्थ होने पर बल देती हैं. कम से कम भारत को यह उदाहरण विश्व के सामने स्थापित करना चाहिए. चाहे हमारे जीवन में कुछ भी हो जाए…हम शांत रहेंगे. कैसी भी परिस्थिति हो जाए, हम उससे पार पाने में सफल होंगे. हमें विश्व के सामने इसे स्थापित करने की आवश्यकता है. कई संदर्भों में विश्व इस समय भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है.”
अपने उद्बोधन में पूज्य जैन मुनिश्री प्रमाण सागर जी ने कहा, ”निश्चित ये बहुत त्रासदीपूर्ण काल है. लेकिन ऐसे समय में एक संदेश मैं लोगों को देना चाहता हूं. सबसे पहले उन लोगों को जो आज इस महामारी के शिकार हुए हैं, जो आज अपनी चिकित्सा ले रहे हैं, जो अस्पतालों में हैं. मैं उन सबसे कहना चाहता हूं कि मन को मजबूत बनाओ, घबराइए मत. बीमारी आई है, तो ये जाएगी भी. ये बीमारी आई है इसका मतलब ये नहीं कि बीमारी आई है तो मौत ही आ गई. मन को अच्छा रखिए. यदि आपका मन मजबूत होगा तो आप इस बीमारी को चुटकियों में हरा सकते हैं.”
उन्होंने कहा, ”अपने भीतर आध्यात्मिक दृष्टि रखें कि ये बीमारी तन को है, मन को नहीं. तन की बीमारी के सौ इलाज हैं, मन की बीमारी का कोई इलाज नहीं. इसलिए मैं सबसे कहना चाहूता हूं, इस तन की बीमारी को मन पर हावी मत होने दें.”
उन्होंने कहा, ”मन जिसका मजबूत होता है, उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता. मैं मानता हूं कि अमर कोई नहीं है, लेकिन हमें बेमौत नहीं मरना. लोगों को थोड़ा सा कोविड पॉजिटिव आता है तो लोगों के मन में खौफ आ जाता है कि अब तो गए और पेशेंट के साथ-साथ उनके परिजन भी अधीर हो जाते हैं, वो भी बहुत घबरा जाते हैं और इसी घबराहट में मामला बिगड़ जाता है. पेशेंट के साथ उनके परिजन को भी थोड़ा धैर्य रखना चाहिए. ठीक है, बीमारी आई है चली जाएगी. आप हिसाब लगा लीजिए, हमारे यहां इतने सारे लोग संक्रमित हो रहे हैं, पर ज्यादातर तो लोग ठीक होकर ही जा रहे हैं. मृत्यु की दर तो लगभग डेढ़ प्रतिशत ही है ना. ठीक है, ये दूसरी लहर थोड़ा भयानक है, इसलिए सावधानी पूरी रखिए, सतर्कता रखिए.”
यह व्याख्यान श्रृंखला कोविड रिस्पांस टीम (CRT) द्वारा आयोजित की गई है, जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक, व्यावसायिक, परोपकारी और सामाजिक संगठनों सहित समाज के सभी वर्गों व क्षेत्रों के प्रतिनिधि जुड़े हुए हैं. इस श्रृंखला का आयोजन भारतीय समाज के सामने आई कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में सकारात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से किया रहा है.
इस श्रृंखला के अंतर्गत 11 मई से 15 मई तक प्रति दिन 4:30 बजे 100 से अधिक मीडिया प्लेटफार्मों पर विभिन्न गणमान्य लोगों के उद्बोधन प्रसारित किए जा रहे हैं. 12 मई को आध्यात्मिक गुरु और द आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अजीम प्रेमजी और जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े जी, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी, इस व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत समाज को संबोधित करेंगे.