आलोक ठक्कर
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की यह कोशिश रही कि सभी को खुश किया जाए लेकिन इसके लिए धन कंहा से आएगा इस बारे में कोई स्पष्ट नीति बजट में नही बताई गई। सरकार ने सड़क, सुरक्षा, किसान, स्वच्छ भारत, स्वास्थ्य और रेलवे के लिए धन की घोषना तो की है मगर यह कैसे उपलब्ध होगा यह अनिश्चित है। वित्त मंत्री द्वारा एलआईसी के आईपीओ के मार्फ़त पैसा जुटाने की जो बात कही है उससे इन सभी मदों का पेट भर सके इसके आसार कम है। विनिवेश से होने वाली आमदनी 1.75 लाख करोड़ रुपये की बताई गई है।
उद्योगों को राहत देने की दिशा में आयकर के मामलों में नरमी और पुराने मामलों में अधिक सख्ती से सरकार बचने की कोशिश कर रही है। साथ ही सरकार का सारा ध्यान अब जीएसटी के मार्फ़त आय बढ़ाने पर है। यह सरकार के आय बढ़ाने का आखरी हथियार रह गया है। अधोसंरचना से अब सरकार को अधिक आय की उम्मीद नही है ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखकर अपनी मोटी आमदनी बनाए रखने की कोशिश बरकरार है। 75 वर्ष से अधिक उम्र में लोगो को टैक्स रिटर्न से राहत और पेंशन आय को टैक्स से बाहर करके सरकार ने अधिक उम्र में कर दाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की गई है। सड़को के लिए दिए गए फंड का फोकस पूरी तरह चुनावी राज्य है।