भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग ने मंगलवार को ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की मरम्मत का काम शुरू कर दिया। यह रत्न भंडार लगभग 46 साल बाद इस साल जुलाई में खोला गया था। ASI के अनुसार, उनकी टीम रत्न भंडार की मरम्मत के दौरान मंदिर की पवित्रता का पूरी तरह से ध्यान रख रही है। ASI के कर्मचारी पारंपरिक पोशाक पहनकर सेवादारों की तरह रत्न भंडार में प्रवेश कर रहे हैं।
इसके बारे में बात करते हुए राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि मरम्मत कार्य दोपहर करीब एक बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे तक चला। उन्होंने कहा कि एएसआई ने जीर्णोद्धार का काम तीन महीने में पूरा करने का आश्वासन दिया है, लेकिन हमने उनसे इसे तेजी से पूरा करने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे भोग मंडप (दोपहर साढ़े 12 बजे का अनुष्ठान) के संपन्न होने के बाद ही मरम्मत कार्य शुरू होगा, जो पांच से छह घंटे तक चलेगा।
‘रत्न भंडार की मरम्मत से पूजा-अर्चना पर नहीं पड़ेगा कोई असर’ – हरिचंदन
हरिचंदन ने बताया कि 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में मरम्मत कार्य के दौरान देवताओं के दैनिक अनुष्ठान और भक्तों के दर्शन-पूजा में कोई विघ्न नहीं आएगा। एएसआई की टीम को मंदिर में केवल एक निश्चित स्थान तक ही प्रवेश की अनुमति दी गई है। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डीबी गरनायक ने भी स्पष्ट किया कि मरम्मत कार्य में शामिल सभी कर्मचारियों को पारंपरिक पोशाक पहनकर मंदिर में प्रवेश करना अनिवार्य है, और उन्हें विशेष पहचान पत्र भी प्रदान किए गए हैं।
शनिवार और रविवार को रत्न भंडार मरम्मत कार्य रहेगा बंद
गरनायक ने बताया कि एएसआई के तकनीकी कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में कार्य कर रहे हैं, और तकनीकी कोर समिति भी नियमित रूप से कार्यों की निगरानी करती रहेगी। एएसआई अधिकारी ने यह भी बताया कि भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए रत्न भंडार का मरम्मत कार्य शनिवार, रविवार और अन्य सार्वजनिक छुट्टियों के दिनों में बंद रहेगा।
मंदिर के रत्न भंडार के दोनों कक्षों का होगा जीर्णोद्धार
एएसआई की टीम रत्न भंडार की दीवारों से प्लास्टर हटाने से पहले मचान स्थापित करेगी। इसके बाद, पूरे ढांचे की सफाई की जाएगी, और पुरानी लोहे की बीम और टूटे हुए पत्थरों की मरम्मत की जाएगी। रत्न भंडार के आंतरिक और बाहरी दोनों कक्षों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। यह रत्न भंडार ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर के उत्तरी हिस्से में स्थित है, जिसमें दो कक्ष हैं, जहां सदियों से भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के सोने और हीरे के आभूषण रखे गए हैं।