माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. किन्तु आज की अमावस्या बहुत ही दुर्लभ संयोग लिए आई हैं, क्यूंकि आज शनिवार के दिन पड़ी हैं अमावस्या जिसका महत्व बिल्कुल अलग हैं शनिवार के दिन अमावस्या होने से इसे शनिचरी अमावस्या के नाम से भी पुकारा जाता हैं इस दिन मौन रहकर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है.
मौनी अमावस्या पर स्नान करने के साथ-साथ ही दान-पुण्य का भी खास महत्व है. इस वर्ष मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023 मतलब की आज मनाई जा रही है. मौनी अमावस्या को शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.और ये अमावस्या बहुत ही खास महत्व लिए आई हैं.
मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं से लगाई डुबकी
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है. वहीं, बक्सर में मौनी अमावस्या के स्नान को लेकर श्रद्धालुओें की भारी भीड़ उमड़ रही है. राम रेखा घाट में उत्तरायणी गंगा के स्थल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. बक्सर (बिहार) के प्रसिद्ध राम रेखा घाट और यूपी के कई जिलों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध मौनी आमवास्या पर आज आस्था की डुबकी लगाई है.
बक्सर के राम रेखा घाट पर बिहार के गोपाल गंज से आए एक भक्त ने बताया,”मैं गोपाल गंज से आया हूं और मौनी आमवास्या पर बक्सर के रामरेखा घाट पर स्नान करना मेरे लिए बड़े ही गर्व की बात है”. वहीं राम रेखा घाट के पंडित जी ने बताया,” आज के दिन उत्तरायणी गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसे में आज के दिन श्रद्धालु भारी संख्या में ये गंगा घाट पर स्नान करने के लिए आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. हालांकि, वर्षा ने कुछ देर विघ्न जरूर डाला लेकिन श्रद्धालुओं के आगे इसकी एक न चली. राम रेखा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अभी भी जारी है.
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023 मतलब आज प्रात 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इसका समापन 22 जनवरी मतलब कल रात 02 बजकर 22 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, मौनी अमावस्या आज ही मनाई जा रही है.
मौनी अमावस्या पूजन विधि
माघ अमावस्या के दिन प्रातकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. स्नान करते वक्त ‘गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु’ मंत्र का जप करें. स्नान करने के बाद तांबे के लोटे में काले तिल, लाल फूल मिलाकर सूर्य को अर्ध्य अवश्य दें और श्रीहरि का ध्यान करते हुए मौन रहने का प्रण लें. इस दिन तुलसी की पूजा अवश्य करें और 108 बार परिक्रमा करें.
मौनी अमावस्या पर स्नान दान का महत्व
माघ माह में पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही खास माना जाता है. यदि ऐसा मौनी अमावस्या पर किया जाए तो स्नान दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. एस्ट्रोलॉजर का कहना है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप और दोष मिट जाते हैं. इसलिए मौनी अमावस्या के दिन लोग स्नान करने के लिए पवित्र नदियों के घाट पर जाते हैं. मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है.