दिवाली के बाद हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है। इस साल ये छठ पूजा 20 नवंबर यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। आज छठ पूजा का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन शाम को सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। बता दे, इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा की जाती हैं। साथ ही अगले दिन इसका समापन होता हैं। दरअसल, उगते सूर्य शुरू को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा समाप्त होती है। आज हम आपको छठ पूजा का मुहूर्त और तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का महत्त्व बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं –
तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का महत्त्व –
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज षष्ठी तिथि के दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देते है। मान्यता है कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। दरअसल, संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है। जिससे लाभ मिलता हैं। इस दिन पूजा करने से और संध्या अर्घ्य देने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन , वैभव की प्राप्ति होती है।
ऐसे दिया जाता है संध्या अर्घ्य –
बता दे, छठ पूजा के दिन संध्या अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले शाम के समय सूप में बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल लिए जाते हैं। साथ ही पूजा का सूप सजाया जाता है। इसके अलावा लोटे में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। वहीं सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मैया की भी पूजा अर्चना करते हैं। रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है।
सांध्य अर्घ्य का मुहूर्त –
छठ पूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ 19 नवंबर को रात 09:59 बजे से हो चुका है।
संध्या सूर्य अर्घ्य: 20 नवंबर, दिन शुक्रवार, सूर्योदय: 06:48 बजे और सूर्यास्त: 05:26 बजे।