समीक्षा तैलंग। रोचक संस्मरण-
साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, महाराष्ट्र भूषण, पद्मश्री, पद्मभूषण इन सब सम्मानों से सम्मानित पु ल देशपांडे जी ने सबसे पहले अध्यापक की नौकरी की। उनके शिष्यों में एक थे शिवसेना प्रमुख बाळासाहेब ठाकरे। उसके बाद आकाशवाणी में नौकरी की। उसमें वे बड़े पद पर थे। दूरदर्शन शुरू हुआ तब उसमें भी नौकरी की और वहां की कमान संभाली।
‘दूरदर्शन’ नाम पु ल देशपांडे जी की ही देन है जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। उन्होंने “आकाशवाणी” की तर्ज पर “प्रकाशवाणी” नाम की सिफारिश भी की थी तब तक ‘दूरदर्शन’ नाम को मान्यता मिल चुकी थी।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का दूरदर्शन पर पहला साक्षात्कार पु. ल. देशपांडे जी ने ही लिया था।
“एक बार पंडित जी के कार्यक्रम को कवरेज करने का पु. ल. को आदेश दिया गया। वे नहीं गए। जब उनके साहब इस बारे में बात करने आए तब पु. ल. बहुत सहजता से हंसते हुए बोले, “मुझे इस कार्यक्रम का कवरेज करना ठीक नहीं लगा इसलिए नहीं किया”। जब उनसे कहा कि आपने पंडित जी के कार्यक्रम के लिए मना किया है। आप जानते हैं इसकी सजा? तब भी उन्होंने सहजता से इसका जवाब दिया कि “वे अपनी पार्टी के कार्यक्रम में आए थे। दूरदर्शन द्वारा उनकी पार्टी के कार्यक्रम का कवरेज करना मुझे ठीक नहीं लगा इसलिए नहीं किया”।
इसकी सजा से भी वाकिफ थे। उन्होंने अपनी जेब से घर से लिखकर लाया हुआ इस्तीफा साहब को सौंप दिया जिसे मान्य किया गया और इस बात पर उनको दूरदर्शन की नौकरी छोड़नी पड़ी।
ये संस्मरण 2019 में महेश मांजरेकर जी की फिल्म भाई- व्यक्ति की वल्ली में मौजूद हैं।
Must Read- दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं, खाक ऐसी जिंदगी पे के पत्थर नहीं हूं मैं