कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते भारत के लिए आगामी 40 दिन बेहद संजीदा हैं, क्योंकि जनवरी में कोरोना वायरस की चौथी लहर आ सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वी एशिया में केस बढ़ने के 30-35 दिन बाद भारत में नई लहर आ सकती है. पिछली तीन लहरें कैसे आई थीं और क्यों इस बार भी वैसा ही चलन दिख रहा है.
एक बार फिर दुनिया के सामने कोरोना वायरस का संकट मंडरा रहा है. चीन में इनफ़ेक्शन तेज गति से बढ़ रहा है. जापान में रिकॉर्ड तोड़ मौतें हो रहीं हैं. इस बीच भारत में भी चौथी लहर का खतरा काफी बढ़ सा गया है. विशेषज्ञों ने वार्निंग दे दी है कि अगले 40 दिन बहुत ज्यादा कठिन होने वाले हैं, क्योंकि जनवरी में कोरोना वायरस के केस बढ़ सकते हैं.
मीडिया सूत्रों ने स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के जरिए से बताया है कि अगले 40 दिन बहुत ज्यादा मुश्किल रहने वाले हैं, क्योंकि जनवरी में कोरोना के केस बढ़ सकते हैं. हालांकि, सूत्रों का ये भी कहना है कि अगर नई लहर आती भी है तो भी न तो मौतों का आंकड़ा बढ़ेगा और न ही अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अफसर ने बताया कि ये हमेशा देखा गया है कि जब पूर्वी एशिया में कोरोना बढ़ता है तो उसके 30-35 दिन बाद भारत में भी नई लहर शुरू हो जाती है.
आ सकती है नई लहर?
चीन में जीरो-कोविड पॉलिसी हटने के बाद इनफ़ेक्शन बढ़ने लगा है. चीन सही फिगर्स नहीं दे रहा है लेकिन विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि वहां हर दिन लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं और हजारों मौतें हो रहीं हैं. चीन के अतिरिक्त अमेरिका और जापान में भी इनफ़ेक्शन तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहा है. जापान में बुधवार को कोरोना से 415 लोगों की मौत हो गई. ये जापान में एक दिन में हुई मौतों की सबसे बड़ी संख्या है.
इन देशों में ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7 (Omicron sub-variant BF.7) इनफ़ेक्शन बढ़ा रहा है. ये सब-वैरिएंट कहीं ज्यादा रोग फैलानेवाला है. इससे इन्फेक्टेड एक व्यक्ति 16 लोगों को
और इनफ़ेक्शन फैला सकता है. भारत में भी BF.7 के केस सामने आ चुके हैं. सूत्रों ने बताया कि दो दिन में विदेशों से आए 6 हजार यात्रियों में से 39 कोरोना संक्रमित मिले हैं. भारत ने चीन, जापान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आवश्यक कर दी है. हालांकि, एक सर्वे में सामने आया था कि 10 में से 7 भारतीय चाहते हैं कि चीन से आने वाली फ्लाइट को रोक ही दिया जाए. फिर भी सरकार ने अभी यातायात बंद नहीं किया है.
कहीं लापरवाही न पड़ जाए भारी
दरअसल भारत में अभी जो हो रहा है और जिस तरह का स्टैंड लिया जा रहा है, वैसा पहले भी हो चुका है. हालांकि, उसके बाद भी भारत में कोरोना की तीनों लहरेंआ चुकी है.पिछली तीन लहरों का प्रचलन बताता है कि कैसे धीमे-धीमे करके एक के बाद एक मामले बढ़ते हैं और फिर अचानक से इंफेक्शन तेज हो जाता है. सरकार दावे करती रही कि सब कुछ कुशल मंगल है, लेकिन न सिर्फ अधिकारियों की बल्कि लोगों की लापरवाही ने भी नई लहर को आमंत्रण दे दिया था. जनवरी 2020 से ही पुरे विश्व में कोरोना अपने पैर पसारने लगा था. फिर भी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाने में विलंब कर दिया था. जब भारत में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ तब जाकर 23 मार्च 2020 को उड़ानों पर रोक लगी.
दूसरी लहर में भी ऐसी ही असावधानी बरती गई. भीड़ बढ़ने लगी थी, लोगों ने न तो मास्क पहना और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पूर्णतया किया. दूसरी लहर सबसे ज्यादा संकटमय रही और उस समय लाखों लोगों की मौत हुई थी. तीसरी लहर में भी लापरवाही हुई और संक्रमण बढ़ गया.
क्या चौथी लहर का आगाज़ हो गया हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले रिकॉर्ड के अनुसार, एक हफ्ते में भारत में कोरोना वायरस के केस में 21 फीसदी से अधिक की छलांग लगाई हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि 14 से 20 दिसंबर के बीच दुनियाभर में कोरोना के 1,083 मामले सामने आए थे. जबकि, 20 से 27 दिसंबर के बीच 1,317 मामले सामने आए हैं. हालांकि, 14 से 20 दिसंबर के मध्य 18 लोगों की मौत कोरोना वायरस से हुई है. वहीं, 20 से 26 दिसंबर के बीच 16 मौतें हुईं हैं. हालांकि, मौतों की इन गणनाओं में कुछ पुरानी मौतें भी शामिल हैं. वो इसलिए क्योंकि केरल पुरानी मौतों को भी आंकड़ों में शामिल कर रहा है. मसलन, 22 दिसंबर को 9 मौतें हुई थीं, लेकिन इनमें से 6 मौतें पुरानी थीं. यानी, ये पहले हो चुकी थीं लेकिन इन्हें बाद में कोविड संक्रमित मौतों में काउंट किया गया था.
हालांकि इतना ही नहीं, देशभर में कोरोना का उपचार करा रहे मरीजों की संख्या में भी मामूली इजाफा हुआ है. 22 दिसंबर तक सक्रिय केसेस की संख्या 3,380 थी जो 27 दिसंबर तक बढ़कर 3,468 पर पहुंच गई. फिलहाल एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में चौथी लहर की गुंजाइश कम है. एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में अपने दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर केसेस बढ़ते भी हैं तो ये माइल्ड होंगे और जनता को अस्पताल में भर्ती होने की शायद ही कोई आवश्यकता पड़े. डॉ. गुलेरिया ने बताया था कि ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BF.7 के कारण न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ेगा और न ही मौतों की संख्या, क्योंकि अब हमारी इम्युनिटी बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो गई है. साथ ही उनका ये भी कहना था कि BF.7 भारत में जुलाई में आ गया था, लेकिन हमने देखा कि इसके कारण से ना ही हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा और ना ही मौतें हुई डॉ. गुलेरिया का ऐसा मानना हैं कि ये वैरिएंट लंबे समय तक भी रह सकता है लेकिन इससे नई लहर आने की कोई आशंका नहीं है.