नई दिल्ली। अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को बुधवार रात वापस ले लिया था। साथ ही कहा है कि निवेशकों के पैसे उन्हें वापस किए जाएंगे। गौतम अडानी ने वीडियो जारी करते हुए कहा है कि यह निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है।
गौतम अडानी ने खुद FPO को वापस लेने की वजह बताई है। जानकारी के लिए आपको बता दे कि, ये एफपीओ 27 जनवरी को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और 31 जनवरी को फुल सब्सक्राइब होकर क्लोज हुआ था। कंपनी ने एक बयान में कहा कि कंपनी अपने एफपीओ के हिस्से के रूप में प्राप्त आय को वापस कर देगी, जिसे मंगलवार को कॉर्पोरेट्स और विदेशी निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर समर्थन दिया गया था।
गौतम अडानी ने कहा कि बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए बोर्ड ने ये महसूस किया कि एफपीओ के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। गौतम अडानी ने कहा कि मेरे लिए मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है। इसलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए हमने एफपीओ वापस ले लिया है।
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FPO इनसाइड स्टोरी
गिरीश मालवीय के मुताबिक, ये FPO 26 जनवरी को हिंडनवर्ग की रिपोर्ट के साए में लांच हुआ था। लांच होने के पहले ही इसमें एंकर निवेशको ने लगभग सवा पांच हजार करोड रूपए के शेयर बुक कर लिए थे। अडानी को उम्मीद थी कि बाकी बचे शेयर के लिऐ रिटेल में निवेशक टूट पड़ेंगे। उन्होंने लिखा कि, धृतराष्ट्र महाभारत में ऐसा कैरेक्टरथा जिसे कौरवों के पाप दिखाई ही नही देते थे। आज की तारीख में देश की एक संस्था सेबी ऐसा ही व्यवहार कर रही है। उसे अडानी की करतूतें दिखाई ही नहीं देती, लेकिन सूचनाओं के इस दौर में पूरी दुनिया एक ग्लोबल विलेज के समान हो गई है। भारत में ये अडानी के हर पाप को छुपाने के लिए कितना भी जोर लगा ले पर बाहर इनके झूठ तुरंत बेनकाब हो जाते हैं।
उन्होंने आगे लिखा- अडानी को उम्मीद थी कि बाकी बचे शेयर के लिऐ रिटेल में निवेशक टूट पड़ेंगे, लेकिन इसी बीच हिंडन बर्ग की रिपोर्ट का असर मार्केट पर दिखा और अडानी के शेयर औंधे मुंह गिरने लगे FPO में लगभग 3200 के आसपास बेचा गया शेयर 2700 के आसपास आ गया जाहिर है रिटेल इन्वेस्टर ने इससे किनारा कर लिया 31 जनवरी की तारीख इस FPO का अंतिम दिन था 30 जनवरी तक 2 प्रतिशत शेयर भी खुदरा में नही बिक पाए। अडानी की इज्जत पर बात आ गई 30 जनवरी की शाम एक ख़बर फ्लैश हुईं कि आबूधाबी की कंपनी ने इस FPO में 3200 करोड़ इन्वेस्ट किया है इसके बाद आखिरी दिन गजब का रिस्पांस देखने को मिला और इस एफपीओ पूरा का पूरा सब्सक्राइब कर लिया गया। लेकिन पिक्चर अभी बाकी थी बचे हुए 14 हजार करोड़ के शेयर किसने खरीदे ये बात किसी को पता नही थी, इतना होने पर भी बाजार ने अडानी पर भरोसा नहीं किया और उसकी सबसे बडी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस के शेयर भी बुरी तरह से गिरने लगे।
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उन्होंने आगे लिखा, भारत सरकार का यूनीयन बजट भी शेयर बाजार की इस तबाही को रोकने में नाकाम रहा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने भी इस समूह से दूरी बनाना शुरु कर दी ख़बर आई की क्रेडिट सुइस ने संपार्श्विक मार्जिन के लिए अडानी समूह की कंपनियों के बॉन्ड को स्वीकार करना बंद कर दिया है, और बॉन्ड की वैल्यू 0 कर दी है। कल पूरे दिन बाजार में अडानी के शेयर में कत्ल ए आम की स्थिति रही और रात में एक बहुत बडी खबर आई जो बिजनेस की दुनियां में जानी मानी है कल रात फोर्ब्स ने एक ख़बर प्रकाशित की जिसका शीर्षक था “There’s Evidence That The Adani Group Likely Bought Into Its Own $2.5 Billion Share Sale” इस ख़बर के मुताबिक अडानी खुद ही पीछे के दरवाजे से दो कंपनियों एलारा कैपिटल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल की सहायता से अपने शेयर खरीद रहे थे अडानी की पोल पूरी तरह से खुल गई।
उन्होंने आगे लिखा- मरता क्या न करता !….अडानी के पास अपने FPO को रद्द करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा, इसलिए रात में ताबड़ तोड़ ढंग से अडानी ने ये काम किया ताकि कम से कम भारत के बाजार में उसकी इज्जत थोड़ी बहुत बची रहे। ध्यान दीजिए कि हिंडनबर्ग रिसर्च दकी 104 पन्नो की रिपोर्ट मे अडानी समूह पर ऐसे लेखांकन धोखाधड़ी और शेयर बाजार में हेरफेर के आरोप लगाए गए है। अब यह बात शीशे की तरह साफ़ हो चुकी है कि अडानी कैसे खेल खेल रहे थे पूरी दुनिया मे थू थू हो रही है लेकिन यहां शेयर बाजार की नियामक संस्था सेबी अब भी धृतराष्ट्र की तरह आंखो पर पट्टी बांधे बैठा हुआ है।