निर्जला एकादशी पर करें तुलसी के ये उपाय, होगी धनवर्षा, घर में बनी रहेगीं सुख-समृद्धि

निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है, 6 जून 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत, भगवान विष्णु की पूजा और तुलसी माता के विशेष उपाय करने से पापों का नाश होता है और धन, सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। यह एकादशी सभी 24 एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है और इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के पापों का नाश करती है और उसे मोक्ष की ओर ले जाती है।

विशेष बात यह है कि इस दिन तुलसी माता की पूजा और कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन और सुख की कमी नहीं होती।

कब है निर्जला एकादशी 2025?

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह पावन व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा। तिथि की शुरुआत 6 जून को रात 2:15 बजे होगी और समाप्ति 7 जून को सुबह 4:47 बजे होगी। चूंकि एकादशी व्रत उदया तिथि के अनुसार किया जाता है, इसलिए व्रत 6 जून को ही रखा जाएगा।

क्यों है तुलसी पूजन का इतना महत्व?

हिंदू शास्त्रों में तुलसी को देवी का स्वरूप माना गया है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी पर तुलसी पूजन और उसके विशेष उपाय करने से न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। इसके अलावा, घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।

तुलसी के अचूक उपाय जो बदल सकते हैं किस्मत

सुबह तुलसी के पास दीपक जलाएं और अर्पित करें चुनरी

निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा के पश्चात तुलसी के पौधे के पास जाकर साफ-सफाई करें। फिर वहां घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। ऐसा करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें

शाम के समय तुलसी के पौधे के पास दोबारा घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हुए तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे न केवल पारिवारिक तनाव और कलह समाप्त होते हैं, बल्कि घर का वातावरण भी शुद्ध और शांतिपूर्ण बनता है।

तुलसी मंत्र, चालीसा और आरती का पाठ

इस पावन दिन तुलसी माता की पूजा के साथ तुलसी मंत्रों, तुलसी चालीसा और आरती का पाठ अवश्य करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से कष्टों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में धन, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।

तुलसी के पत्तों का उपयोग भगवान विष्णु के भोग में

भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्तों का भोग में उपयोग अनिवार्य माना गया है। हालांकि, एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए, इसलिए इसके पत्ते एक दिन पहले यानी 5 जून को ही तोड़ लें और उन्हें पूजा में रखें। तुलसी का यह भोग भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है और इससे वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

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