Kalashtami 2025 : प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली कालाष्टमी भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप काल भैरव को समर्पित एक विशेष पर्व है। “भैरव” शब्द का अर्थ है – भय को हरने वाला। इस दिन काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, काले जादू, बुरी आत्माओं और भय से मुक्ति मिलती है। उनकी उपासना जीवन में साहस, आत्मविश्वास और स्थिरता लाती है।
काल भैरव को न्याय और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। उनकी आराधना से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है और अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम होता है। साथ ही, ऐसा माना गया है कि उनकी कृपा से शनि और राहु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभाव भी कम हो जाते हैं। कालाष्टमी का व्रत आत्मा को शुद्ध करता है और भक्त को आध्यात्मिक ऊंचाइयों की ओर ले जाता है।

कब हैं कालाष्टमी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि इस बार 20 मई 2025, मंगलवार की सुबह 5:51 बजे आरंभ होकर 21 मई बुधवार को प्रातः 4:55 बजे समाप्त होगी। चूंकि व्रत और पर्वों में उदय कालीन तिथि को प्राथमिकता दी जाती है, इसलिए कालाष्टमी का व्रत मंगलवार, 20 मई को रखा जाएगा। इस दिन भक्तगण भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना कर उनसे भय, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति की कामना करेंगे।
Kalashtami पर क्या करें दान?
- काले तिल : काले तिल दान करने से जीवन में शांति आती है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। यह शनि देव के साथ-साथ काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है।
- उड़द की दाल : शनि से जुड़ी उड़द की दाल का दान करने से आर्थिक संकटों में राहत मिलती है और धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
- सरसों का तेल : सरसों के तेल को भैरव को अर्पित करना तथा इसका दान करना स्वास्थ्य में सुधार और बुरी नजर से रक्षा करता है।
- काले वस्त्र : काले रंग के वस्त्र काल भैरव को अत्यंत प्रिय हैं। इनका दान दुर्भाग्य को दूर करने और जीवन में स्थिरता लाने में सहायक होता है।
- लोहे की वस्तुएं : शनि से संबंधित धातु होने के कारण लोहे की वस्तुओं जैसे कील, औजार आदि का दान शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करता है।
- जूते-चप्पल : जरूरतमंदों को जूते या चप्पल दान करना राह के अवरोधों को दूर करता है और जीवन में गति लाता है।
- भोजन दान : भूखे और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना पुण्य का कार्य माना गया है। इसके अलावा, भगवान भैरव के वाहन माने जाने वाले काले कुत्ते को भोजन कराना भी विशेष फलदायी होता है।
- झाड़ू : झाड़ू का दान करना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और स्वच्छता के प्रतीक के रूप में भैरव की कृपा पाने का एक माध्यम है।
मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला पर्व
भक्त कालाष्टमी का व्रत अपनी इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में बाधाओं को दूर करने के लिए रखते हैं। भगवान भैरव को तंत्र-मंत्र और रक्षण के देवता के रूप में भी जाना जाता है। उनकी पूजा से न केवल मन की शुद्धि होती है, बल्कि जीवन में आत्मिक उन्नति भी होती है। यह दिन उन भक्तों के लिए खास होता है जो भयमुक्त, समृद्ध और आत्मविश्वासी जीवन की कामना करते हैं।
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