शनि देव को हिन्दू धर्म में न्याय का देवता माना गया है। वे हर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। अगर किसी के कर्म अच्छे हैं तो शनि देव की कृपा उस पर बनी रहती है, लेकिन यदि कोई बुरे रास्ते पर चलता है तो शनि देव उसे जीवन में कठिनाइयों का सामना भी कराते हैं। इसलिए शनि देव को प्रसन्न करना हो तो जीवन में सद्कर्म अपनाना जरूरी है।
आइए जानते हैं वे कौन-सी बातें हैं जिन्हें शनि देव नापसंद करते हैं और जिनसे दूर रहकर हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

छल-कपट और धोखाधड़ी से करें परहेज़
शनि देव ईमानदारी और सच्चाई के प्रतीक हैं। वे उन लोगों से रुष्ट हो जाते हैं जो झूठ बोलते हैं, दूसरों के साथ छल करते हैं या अपने फायदे के लिए किसी को नुकसान पहुंचाते हैं। चाहे वह धन से जुड़ा धोखा हो या भावनात्मक छल, शनि देव ऐसे आचरण को सहन नहीं करते। इसलिए जीवन में सच्चाई को अपनाएं और दूसरों के साथ ईमानदारी से व्यवहार करें।
दीन-दुखियों की सेवा करें
शनि देव का आशीर्वाद उन लोगों को मिलता है जो दूसरों की मदद करते हैं, खासकर जरूरतमंदों की। गरीब, बीमार, असहाय या वृद्ध लोगों की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अगर आप समाज की भलाई के लिए काम करते हैं, तो शनि देव निश्चित ही आपकी रक्षा करते हैं और आपको कठिन समय में सहारा देते हैं।
जीव-जंतुओं के प्रति दया रखें
शनि देव को किसी भी प्रकार की हिंसा पसंद नहीं है, विशेषकर मासूम जीवों पर अत्याचार। वे उन लोगों से नाराज़ होते हैं जो जानवरों को मारते हैं या उनके साथ निर्दयी व्यवहार करते हैं। पशु-पक्षियों के प्रति दया और करुणा दिखाना शनि देव को प्रसन्न करता है। इसलिए जीवों के प्रति स्नेह और सहानुभूति रखें।
अहंकार और घमंड से बचें
शनि देव को विनम्र और सरल हृदय वाले लोग प्रिय होते हैं। जो लोग अपनी उपलब्धियों पर घमंड करते हैं या दूसरों को तुच्छ समझते हैं, वे शनिदेव की कृपा से वंचित हो जाते हैं। यदि आप चाहते हैं कि शनि देव आप पर कृपा बनाए रखें, तो विनम्र रहें और अपने व्यवहार में नम्रता लाएं।
मांस और मदिरा से दूरी बनाएं
शनि देव तामसिक जीवनशैली और बुरी आदतों से दूर रहने की सलाह देते हैं। वे मांसाहार और शराब के सेवन को अनुचित मानते हैं और इससे नाराज हो जाते हैं। इसलिए यदि आप शनि की कृपा चाहते हैं तो मांस-मदिरा का त्याग करें और सात्त्विक जीवन जीने का प्रयास करें।
बड़ों का सम्मान और नम्रता
शनि देव उन लोगों को पसंद नहीं करते जो अपने से बड़े, गुरुजनों या माता-पिता का सम्मान नहीं करते। जो लोग दूसरों की बात को अनदेखा करते हैं और अपनी ही बात को सर्वोपरि समझते हैं, वे शनिदेव की दृष्टि में गलत होते हैं। इसलिए दूसरों का सम्मान करें, आलोचना को स्वीकारें और अपने व्यवहार में सुधार लाएं।
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