30 मार्च से शुरू होने वाली है चैत्र नवरात्रि, अपनाएं ये वास्तु टिप्स, सालभर बरसेगी मां दुर्गा की कृपा

चैत्र नवरात्रि 2025, 30 मार्च से शुरू हो रही है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व है। इस दौरान वास्तु शास्त्र के कुछ सरल नियमों का पालन करके आप माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। घर की सफाई, सही दिशा में पूजा स्थल का चयन, स्वास्तिक का चिन्ह, अखंड ज्योत, और धातु के बर्तनों का इस्तेमाल जैसे उपायों से नवरात्रि की पूजा को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है।

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Chaitra Navratri Vastu Tips : नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जो साल में दो बार मनाया जाता है। कुल मिलाकर चार नवरात्रि होती हैं, जिनमें से प्रमुख हैं: चैत्र नवरात्रि, जो हिंदू नववर्ष के साथ शुरुआत होती है, और शारदीय नवरात्रि, जो दशहरा से पहले मनाई जाती है। इसके अलावा, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (जून या जुलाई में) और माघ गुप्त नवरात्रि (जनवरी या फरवरी में) भी मनाई जाती हैं। इस बार, 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रही है।

यह पर्व माँ दुर्गा को समर्पित होता है, जिनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा इन नौ दिनों में की जाती है। भक्तजन इस दौरान उपवास रखते हुए, माँ भगवती की विशेष अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पूजा में वास्तु शास्त्र का भी महत्वपूर्ण स्थान है? कुछ आसान वास्तु नियमों का पालन करके हम माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

इस बार नवरात्रि में अगर आप इन Vastu Tips का ध्यान रखेंगे, तो माँ दुर्गा की विशेष आशीर्वाद से आपका जीवन और भी मंगलमय होगा..

घर की सफाई का महत्व

नवरात्रि से पहले अपने घर की सफाई करना बेहद महत्वपूर्ण है। घर में जो पुराना सामान या बेकार चीज़ें पड़ी हों, उन्हें तुरंत हटा दें। यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं और वातावरण में अड़चन डालती हैं। पूजा स्थल की साफ-सफाई भी करें और वहां माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। धूप और दीप जलाएं ताकि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।

 सही दिशा में पूजा स्थल का चयन

वास्तु शास्त्र में दिशाओं का महत्व बहुत अधिक होता है, और नवरात्रि में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। पूजा स्थल को उत्तरी या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और इसे देवस्थान की दिशा भी कहा जाता है।

पूजा करते वक्त रखें मुख की दिशा का ध्यान

जब आप नवरात्रि पूजा कर रहे हों, तो इस बात का खास ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। पूर्व दिशा में देवताओं का वास होता है और यहीं से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह दिशा आध्यात्मिक उन्नति और शक्ति का स्रोत भी मानी जाती है।

स्वास्तिक का चिन्ह बनाना न भूलें

पूजा स्थल पर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करने से पहले, चौकी पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना जरूरी है। स्वास्तिक का चिन्ह शुभ कार्यों का प्रतीक है और पूजा को सफल बनाता है। यदि आप लकड़ी की चौकी का इस्तेमाल करते हैं, तो यह और भी अधिक शुभ रहेगा। आम की लकड़ी से तैयार चौकी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

अखंड ज्योत का जलाना

नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाना एक महत्वपूर्ण रिवाज है। हालांकि, ध्यान रखें कि अखंड ज्योत को दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) दिशा में जलाना चाहिए। इस दिशा में अग्नि देवता का वास माना जाता है, और यहां अखंड ज्योत जलाने से पूजा का प्रभाव और भी अधिक शक्तिशाली होता है।

धातु के बर्तनों का इस्तेमाल करें

पूजा के दौरान तांबे, पीतल, या चांदी के बर्तनों का उपयोग करें। ये धातुएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और पूजा को विशेष महत्व देती हैं। साथ ही, रोज़ाना ताजे लाल फूल अर्पित करें, जो मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई सारी जानकारी केवल के सामान्य सूचना है। इसे अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।