राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी : शिवराज मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के बाद सिलावट एक अलग अंदाज में हैं

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अरविंद तिवारी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बहुत नजदीकी माने जाने वाले प्रदेश के कुछ कैबिनेट मंत्री यह जानने में लगे हुए हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि महज दो साल पहले ही भाजपा में शामिल हुए मंत्री तुलसी सिलावट ‘सरकार’ के इतने नजदीक हो गए हैं। शिवराज मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के बाद सिलावट एक अलग अंदाज में हैं और ऐसे कई मौके आए हैं, जब मुख्यमंत्री ने स्थापित मंत्रियों के बजाय सिलावट को ज्यादा तवज्जो दी। वैसे सिलावट के बारे में यह मशहूर है कि वे 18 घंटे की राजनीति करने वाले नेता हैं और इसी का फायदा उन्हें हमेशा मिलता है, फिर वह चाहे सिंधिया का दरबार हो या फिर शिवराज की सरकार।

देश की एक बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने इंदौर में रियल इस्टेट कारोबार में दस्तक दे दी है। इस कंपनी के कर्ताधर्ता कितने प्रभावशाली हैं, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस कंपनी को उपकृत करने के लिए खंडवा रोड पर बिलावली तालाब के आसपास की बेशकीमती जमीन का लैंड यूज ग्रीन बेल्ट से बदलकर आवासीय कर दिया गया है। ऐसी संभावना है कि कंपनी यहां एक बड़ा होटल भी ला सकती है। इतना जरूर जान लीजिए कि यह कंपनी मध्यप्रदेश की ही है और इसके कर्ताधर्ता ‘सरकार’ के बहुत नजदीकी हैं।

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जरा पता कीजिए आखिर यह मामला किससे जुड़ा हुआ है। जिस साफगोई से नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह बात करते हैं वह माद्दा बहुत कम बहुत कम मंत्रियों में होता है। पिछले दिनों जब इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान को लेकर शहर के कुछ प्रबुद्ध नागरिक भूपेंद्र सिंह से मिले तो उन्होंने पूरी बात समझने के बाद कहा की जब तक इसमें टाउन प्लानर्स, अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट्स और शहर के लोगों के सुझाव शामिल नहीं किए जाते हैं और आप सब संतुष्ट नहीं हो जाते हैं तब तक मैं इसे अनुमोदित ही नहीं करूंगा। मंत्री जी की साफगोई काबिले तारीफ है लेकिन इसे ‘सरकार’ मानते हैं या नहीं यह देखना जरूरी है।

बेबाकी से बात कहने में मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा की कोई जोड़ नहीं। भाजपा में इन दिनों परिवारवाद को लेकर खूब चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से जो बात सामने आई उसके बाद यह चर्चा जोरों पर है कि अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नेता पुत्र टिकट से वंचित कर दिए जाएंगे। जब यह मुद्दा पिछले दिनों सखलेचा के सामने उठा तो वे चुप नहीं रह सके और कई नेता पुत्रों का उदाहरण देते हुए बोले, ये सब तो अपने परिश्रम से राजनीति में आगे बढ़े हैं। अभी प्रधानमंत्री ने जो कहा है, वह हेलीकाप्टर लेंडिंग वाले नेता पुत्रों पर लागू होती है, न कि मैदान में क्षमता दिखाकर आगे आए नेता पुत्रों पर, चाहे वह आकाश विजयवर्गीय हो या अभिषेक भार्गव।

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इस बात की चर्चा बड़े जोरों पर है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा का अगला मुकाम भोपाल लोकसभा क्षेत्र हो सकता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में शर्मा भोपाल की गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बाबूलाल गौर की हठधर्मिता के कारण बात बन नहीं पाई। अब चर्चा यह है कि शर्मा खजुराहो से भोपाल आ सकते हैं और प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल के ही किसी विधानसभा क्षेत्र का रुख कर सकती हैं। वैसे साध्वी के लिए लोकसभा या विधानसभा का टिकट हासिल करना बहुत मुश्किल होगा।

कांग्रेस के कद्दावर नेता महेश जोशी के जिंदा रहते जब भी भतीजे अश्विन जोशी और बेटे पिंटू जोशी के बीच विवाद की बात उनके सामने उठती थी तो हमेशा एक ही जवाब देते थे कि घी तो घर की थाली में ही गिरेगा ना, लेकिन अब जब महेश भाई इस दुनिया में नहीं हैं। अब यह तय हो गया है कि घी थाली से बाहर ही गिरेगा। महेश भाई की स्मृति सभा में जिस अंदाज में कांग्रेस के सारे दिग्गज नेता पिंटू की हौंसला अफजाई करते नजर आए उससे यह स्पष्ट है कि इस बार इंदौर तीन में पार्टी की प्राथमिकता अश्विन की बजाय पिंटू हो सकते हैं। सबकी नजर रहेंगी दिग्विजय के रुख पर।

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बेटे अमनवीर सिंह बैंस बैतूल के कलेक्टर हैं और गृह विभाग के प्रमुख सचिव रहने के बाद भिंड से सांसद रहे रिटायर आईएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद की बेटी सिमाला प्रसाद वहां एसपी है। लेकिन दोनों के बीच इन दिनों पटरी नहीं बैठ रही है पिछले दिनों मुख्यमंत्री की बेतूल यात्रा के पहले दोनों के बीच तालमेल के अभाव में जो स्थिति निर्मित हुई उसके चलते मुख्यमंत्री कार्यालय को हस्तक्षेप करना पड़ा था और एसपी अफसरों के निशाने पर आ गई। वैसे सिमाला की छवि साफ-सुथरी और सख्त अधिकारी की है लेकिन अपने जिले के कलेक्टर को विश्वास में न लेना कई बार उनके लिए परेशानी का कारण बन जाता है।

चलते-चलते

खरगोन में हुए सांप्रदायिक दंगों की आंच में कलेक्टर अनुग्रह पी पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी झुलस सकते हैं। अलग-अलग स्तर से जो फीडबैक सरकार तक पहुंचा है वह इन दोनों अफसरों के लिए नुकसानदेह हो सकता है

पुछल्ला

महेश जोशी की पुण्यतिथि के मौके पर दो बातें चर्चा में रही, एक उनके बेटे पिंटू जोशी का मैनेजमेंट तो दूसरी उनके भतीजे पूर्व विधायक अश्विन जोशी की गैर मौजूदगी। वैसे पर्दे के पीछे जोशी के अजीज रहे अजय चौरडिय़ा और अशोक धवन की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया गया।

बात मीडिया की

लंबे समय से सुधीर अग्रवाल के निशाने पर चल रहे दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संपादक अवनीश जैन की मध्यप्रदेश से रवानगी लगभग तय हो गई है। जैन की भूमिका मध्यप्रदेश में कम करके उन्हें दिल्ली भेजने की तैयारी है। जब तक म.प्र. में कोई पूर्णकालिक स्टेट एडीटर की नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक जैन आधा समय भोपाल में देंगे और आधा दिल्ली में।

पत्रिका का एक बड़ा विकेट डाउन हो गया है। वहां के वरिष्ठ संवाददाता विकास मिश्रा अब टीम दैनिक भास्कर का हिस्सा होंगे। विकास की पहचान लीगल, पालिटिकल और स्पोर्ट्स सेक्टर के बेहतरीन रिपोर्टर के रूप में है। प्लानिंग ओरिएंटेड स्टोरीज के विशेषज्ञ और इंदौर के भूगोल को अच्छे से समझने वाले वरिष्ठ रिपोर्टर संदीप पारे को लेकर भी आने वाले समय में चौंकाने वाली खबर मिल सकती है।