कर्नाटक में नाबालिग के साथ यौन शोषण करने के मामले में चित्रदुर्ग स्थित लिंगायत मठ के संत शिवमूर्ति की गिरफ्तारी के बाद पुलिस लगातार सवालों के घेरे में हैं। फिलहाल आरोपी संत से डिप्टी एसपी अनिल कुमार पूछताछ कर रहे है। उठ रहे सवालों के बाद डिप्टी एसपी ने कमान संभाल ली है और संत से पूछताछ कर रहें है। आरोपी संत के खिलाफ पॉक्सो एक्त के तहत केस दर्ज किया हैं।
आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जांच में चूक होने पर पुलिस पर कई सवाल उठ रहें हैं। घटना की जानकारी मिलते है मुकदमा दर्ज करने के बाद कार्नाटक पुलिस ने टालमटोली की थी। आरोपी को हिरासत में लेने के बाद पुलिस को 24 घंटे बीतने के बाद काेर्ट मे पेश करती है। लेकिन कार्नाटक पुलिस ने गिरफ्तारी के कुछ घंटे के अन्दर कोर्ट में पेश कर दिया था। ऐसे में लगातार कर्नाटक पुलिस कई सवालों के घेरे में बनी हुई हैं।
इन प्रश्नों के घेरे में है पुलिस
पुलिस ने जब शिवमूर्ति को गिरफ्तार किया तो आधी रात करीब दो बजे ही जज के सामने पेश कर दिया तब पुलिस ने आरोपी को हिरासत में भेजने की मांग क्यों नहीं की? पुलिस ने रात में जज के सामने पेशी के समय शिवमूर्ति को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की मांग करने की बजाय दोपहर में ये मांग क्यों की? क्या आरोपी को पहले न्यायिक हिरासत में भेजा जाना और फिर हेल्थ ग्राउंड पर अस्पताल में शिफ्ट किया जाना किसी योजना के तहत किया गया है? पुलिस ने आरोपी को हेल्थ ग्राउंड पर अस्पताल ले जाने के बाद कोर्ट को जानकारी क्यों नहीं दी?
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आरोपी को यहां भेजने की तैयारी कर रही है पुलिस
शिवमूर्ति की गिरफ्तारी से लेकर अब तक हुए घटनाक्रम को लेकर कर्नाटक पुलिस सवालों के घेरे में है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि, जब शिवमूर्ति न्यायिक हिरासत में था तब पुलिस कोर्ट से अनुमति लिए बगैर उसे बेंगलुरु अस्पताल स्थानांतरित करने की जल्दी में क्यों थी? कहा जा रहा है कि शिवमूर्ति का सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था जिसमें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं मिली। अब सवाल ये भी है कि जब हेल्थ टेस्ट में कोई समस्या पाई ही नहीं गई तो कुछ ही घंटे बाद उसी अस्पताल में शिवमूर्ति को आईसीयू में कैसे शिफ्ट कर दिया गया?
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अस्पताल से आने के बाद हुआ क्या?
शिवमूर्ति को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल ले जाया गया था। शिवमूर्ति को व्हीलचेयर पर अस्पताल ले जाया गया था। लेकिन वही आरोपी कोर्ट रूम की पहली मंजिल तक कैसे सीढ़ियां चढ़कर गया था। कोर्ट की ओर से पुलिस हिरासत में भेजे जाने के बाद जब शिवमूर्ति अस्पताल लौटा, तब वह टलहता दिख रहा था। सवाल ये भी उठ रहा है कि एक मरीज जो कुछ ही समय पहले आईसीयू में भर्ती था, चंद घंटों में इतना स्वस्थ कैसे हो गया कि वह टहलने लगा।
आरोपी को पुलिस की गाड़ी से मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल लाया गया था। मेडिकल टेस्ट के बाद उसे व्हीलचेयर पर एम्बुलेंस से पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। सवाल ये भी है कि जब सामान्य मामलों में आरोपियों का मेडिकल टेस्ट एक घंटे से भी कम समय में किया जाता है तब शिवमूर्ति के मेडिकल टेस्ट में तीन घंटे का समय क्यों लगा। वह भी तब, जब कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिवमूर्ति को अस्पताल में भर्ती कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।