भोपाल : प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिये ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चौतरफा प्रयास किये जा रहे हैं। जहाँ एक ओर प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट युद्ध स्तर पर स्थापित किये जा रहे है, वहीं दूसरी ओर केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सहयोग से झारखण्ड के बोकारो एवं गुजरात के जामनगर स्थित ऑक्सीजन उत्पादकों से ऑक्सीजन टैंकर एयरलिफ्ट कर इंदौर, भोपाल एवं ग्वालियर लाये जायेंगे। प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत हो चुकी है, जो सफल भी रही है। यह प्रक्रिया 24 अप्रैल से लेकर 1 मई तक भारतीय वायु सेना की उड़ानों के फेरों के माध्यम से लगातार जारी रहेगी। इससे मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन लाने की समयावधि को कम किया जा सकेगा। इसी प्रकार ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध उपलब्धता के लिए परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में बोकारो एवं राउरकेला से प्रदेश को सप्लाई होने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति रेलवे के माध्यम से कराये जाने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय की एजेंसी डीआरडीओ द्वारा अस्पताल में ही नई डेबेल तकनीक के आधार पर चलने वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट विकसित किये गए हैं। मध्यप्रदेश के 8 जिलों बालाघाट, धार, दमोह, जबलपुर, बडवानी, शहडोल, सतना और मंदसौर में 5 करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक की लागत के इसी तकनीक आधारित 570 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके कार्यादेश जारी किये जा चुके हैं।
राज्य सरकार द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिये 2000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे गये है। प्रदेश के 34 जिलों में स्थानीय व्यवस्था से 1,293 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स लगाए जा चुके हैं। सभी जिलों को ऑक्सीजन के मामले में आत्म-निर्भर बनाने के लिए कमर कस ली है। प्रदेश के 13 जिलों में मेडिकल कॉलेज होने से वहाँ पूर्व से ही ऑक्सीजन की बल्क स्टोरेज यूनिट्स उपलब्ध हैं। प्रदेश के 8 जिलों में भारत सरकार के सहयोग से पीएसए तकनीक आधारित 8 ऑक्सीजन प्लांट्स स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से 5 प्लांट्स ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।
प्रदेश के शेष 37 जिलों के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वयं के बजट से जिला अस्पतालों में पीएसए तकनीक से तैयार होने वाले नए ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। इनमें से प्रथम चरण में 13 जिलों में ये प्लांट 16 मई तक प्रारंभ हो जायेंगे। द्वितीय चरण में 9 जिलों में ये प्लांट 23 मई तक चालू हो जायेंगे। तृतीय चरण में शेष 15 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट्स 20 जुलाई तक प्रारंभ करने का लक्ष्य है। इससे प्रदेश में ऑक्सीजन के लिए बाहरी स्त्रोतों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जायेगी।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के बेड्स को ऑक्सीजन बेड्स में परिवर्तित करने के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य भी युद्ध स्तर पर जारी है। जिला अस्पतालों के 2,302 बिस्तरों में से अब तक 877 बिस्तरों के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी प्रकार प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के 4588 बिस्तरों में से अब तक 173 बिस्तरों के लिए पाइप लाइन डाली जा चुकी है।
केंद्र सरकार से 22 अप्रैल से 643 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन आपूर्ति की स्वीकृति मिली है। ऑक्सीजन की उपलब्धता पर 24 घण्टे निगरानी रखी जा रही है। ऑक्सीजन की आपूर्ति की मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोलर, फूड एंड ड्रग सेफ्टी को प्रभारी बनाया गया है।प्रदेश में स्थित थर्मल पॉवर स्टेशंस के माध्यम से खंडवा और सारणी में 7000 लीटर क्षमता वाले नए ऑक्सीजन प्लांट अगले 3 सप्ताह में तैयार हो जायेंगे, जिनसे लगभग 200 सिलेंडर ऑक्सीजन प्रतिदिन प्राप्त हो सकेगी। कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, भारत सरकार द्वारा अधिकृत संस्था के माध्यम से प्रदेश के 5 जिला चिकित्सालयों भोपाल, रीवा, इंदौर, ग्वालियर और शहडोल में नवीनतम वीपीएसए तकनीक आधारित आक्सीजन प्लांट्स 1 करोड़ 60 लाख रुपये की लागत से लगाये जा रहे हैं। इनमें 300 से 400 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनेगी जो कि लगभग 50 बेड्स के लिए पर्याप्त होगी। इस नवीनतम तकनीक से ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है।