मनावर: नर्मदा घाटी के करीबन 50 गांव पूर्ण रूप से डूबे व सैंकड़ो गाँवो में पानी घुस गया है | इस आकस्मक डूब से न सिर्फ जन जीवन प्रभावित हो रहा है बल्कि सैकड़ो साल पुरानी इन गाँवो की खेती भी बरबाद हुई है | जल स्तर बढ़ने से किसानों कि खड़ी फसल और जो भूमि अर्जित नहीं हुई है, ऐसी खेती में, चारो तरफ से पानी के आने से व खेतों तक पहुँचने का रास्ता बंद होने के कारण लाखों किसानों की मेहनत व फसल बर्बाद हो गयी है |
मनावर तहसील का एकलबारा गाँव हो या सेमलदा गांव, इन गाँवों की हजारों – हजार एकड़ जमीन पर खड़ी फसल जिनमे आज जाने के रस्ते नहीं बचे है, बरबाद हो रही है|
आज कवठी गांव के 27 किसानों की जमीन डूब गई उनको सर्वोच्च अदालत के आदेश अनुसार 60 लाख रूपये जमीन के बदले मिलना चाहिए था लेकिन आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा नही दिया गया है जबकि ओमप्रकश और श्रीराम पाटीदार की 7 हेक्टर संपूर्ण जमीन आज डूब चुकी है खेत में मक्का की फसल बोई हुई थी लेकिब वह इस बार फिर डूब गई आज दोनों भाई भूमिहीन हो गए है आजीविका का कोई भी साधन नहीं बचा है जबकि शिकायत निवारण प्राधिकरण द्वारा भी दोनों भाइयों को 60 लाख का आदेश प्राप्त हुआ है | आज दोनों भाइयों की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है | लेकिन अधिकारीयों के पास कोई ठोस जवाब है न ही कोई निर्णय लिया जा रहा है |
लाखों लोगो कि बर्बादी को सरकार व जिला प्रशासन कर रही अनदेखा आज कि स्थिति में जब जल स्तर 135 मीटर हैं, नर्मदा घाटी के लगभग हर गांव तक पानी पहुँच चूका है | लेकिन न तो नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पुनर्वास आयुक्त, भूअर्जन अधिकारीयों ने मूल गाँव पहुँच कर क्षेत्र का जायेज़ा लिया है बल्कि मीडिया द्वारा लगातार प्रभावित लोगो कि स्थिति को उजागर करने के बावजूद प्रदेश सरकार व बड़वानी, धार, अलिराजपुर, खरगोन के जिला प्रशासन ने कोई प्रतिक्रिया दी है | बहुत ही शर्मनाक बात है कि इस वैश्विक महामारी के दौर में जहाँ पिछले ही साल कि डूब से नर्मदा घाटी के लोग अभी तक उभर न पाए हैं, ऐसे में इस दोहरी डूब को झेलने के लिए लाखों किसानों, मछुआरों, आदिवासियों, केवाठों, पशुओं, जीवंत फसल को अपने हाल पर छोड़ दिया सरकार व जिला प्रशासन ने !
सरकार व जिला प्रशासन कि तरफ से किसी भी तरह कि मदद या आश्वासन न मिलने पर डूब प्रभावितों द्वारा गाँव गाँव में क्रमिक अनशन सत्याग्रह शुरू किया गया | ऐसे में, जिला प्रशासन ने जबरन पुलिस बल के द्वारा सत्याग्रह पर बैठे लोगों को उठाया गया और डूब प्रभावितों पर केस दर्ज किए गये | इस अन्यायपूर्ण घटना कि हम,नर्मदा घटी के लोग कड़ी निंदा करते हैं |
साल भर पहले डूबे मकानों के परिवारों को जबरन टिनशेड में पुलिस बल के द्वारा ले जाया गया था उनको न तो आज तक अपने पुनर्वास के अधिकार मिले है और न ही पिछले 10 महीनों से उनके लिए कोई व्यवस्था की गई है | डूब प्रभावित परिवार 10/10 के पथरे के टीनशेड में रहने को मजबूर है जिन्हें आज तक पुनर्वास स्थल पर भूखंड नही मिले है | पिछले साल की डूब में आये कई मकानों की भूअर्जन की राशि हो या डूब के दौरान बने पंचनामों पर आज तक भी कोई कार्यवाही नहीं की गई |
नर्मदा घाटी के सभी डूब प्रभावित यह मांग करते हैं कि सरकार व जिला प्रशासन दमन कि निति न अपनाते हुए संवाद कि दिशा में कदम उठाए और सभी प्रभावितों का पूर्ण पुनर्वास सुनिश्चित करे |
आज नर्मदा घाटी के लोग कटिबद्ध है अपनी पुनर्वास की मांग को लेकर
डूब आये या बाढ, नहीं हटेंगे हम!
जीने का अधिकार, ले के रहेंगे हम !
रामेश्वर सोलंकी, धनराज अवास्या, गीता बाई, गेंदालाल भाई, कमला यादव