कवि कभी नहीं मरता..- कवि संदीप शर्मा

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By Suruchi ChircteyPublished On: September 24, 2022

काका हाथरसी हिंदी की कवि सम्मेलन परंपरा के अति प्रसिद्ध कवि रहे हैं। एक कुशल कवि होने के साथ ही वे संगीतज्ञ, गायक, चित्रकार और अभिनेता भी थे। इत्तेफाक की बात है कि उनका जन्म और मृत्यु दोनों ही 18 सितम्बर को हुई थी। सन् 1906 में जन्मे और 1995 में मृत्यु को प्राप्त आज काका हाथरसी की जयंती तथा पुण्यतिथि दोनों है। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित काका जैसा यश बहुत कम ही लोग प्राप्त कर सके।

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कलाओं में पारंगत कवि जितने अद्भुत थे, उतनी ही अद्भुत थी उनकी शवयात्रा। उनकी यह यात्रा इतनी आनंदमयी थी, जिसे देखते हुए उसे शव यात्रा कहना उचित नहीं है। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा ज़ाहिर की थी कि मृत्यु के बाद उनकी शवयात्रा ऊँट गाड़ी पर निकाली जाए। उनकी यह इच्छा पूरी की गई और उसमें अखाड़े भी निकाले गए। उनकी अंतिम यात्रा में कोई कमी न रहे, इसे ध्यान में रखते हुए भजन मंडलियाँ भी शामिल हुईं। ढोल-ताशे बुलाए गए।

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सबसे बड़ी बात रोना मना था। अग्नि संस्कार के समय शमशान भूमि में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कवियों ने एक के बाद एक हास्य कविताओं की झड़ी लगा दी। इधर शव को अग्नि दी जा रही थी, उधर लोग ठहाके लगा रहे थे। काका हाथरसी की अनूठी शवयात्रा में हज़ारों लोग शामिल हुए। काका सहज, सरल और सबको प्यार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने हास्य को हिंदी की वाचिक परंपरा में सम्मान के साथ स्थान दिलवाया।