पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामलें को लेकर देशभर में राजनीति गरम है। जहां भाजपा राज्य की ममता सरकार पर हमलावर थी । वही कांग्रेस भी अब हमलावर हो चुकी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
दरअसल पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार ने संसद की विशेषाधिकार समिति को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार, क्रूरता करने को लेकर विशेषाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था। जिसको लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित अन्य को विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस जारी था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए निर्धारित कर दी।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ममता सरकार पर संदेशखाली में महिलाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। रेखा शर्मा की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा प्रभावित संदेशखालि का दौरा किया। रेखा ने कहा कि उनका दौरा हिंसा प्रभावित क्षेत्र की महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने के लिए था ताकि उनमें से कई महिलाएं बाहर आएं और अपने मन की बात कहना शुरू करें।
गौरतलब है कि कथित यौन शोषण और भूमि का कब्जा करने के आरोप को लेकर कई महिलाएं प्रदर्षन कर रहीं है। इस बीच भाजपा के प्रतिनिधि मंडल को संदेषखाली जाने से रोका गया । इतना ही नही केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने टीएमसी नेता और ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद से बंगाल में राजनीतिक पारा गरम है।