इंदौर : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एस.के.शर्मा के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में महिलाओं से संबंधित कानून और मामलों से संबंधित महिला सशक्तिकरण जागरूता शिविर का आयोजन आज सचिव प्रशिक्षण केन्द्र राऊ में महिला एवं बाल विकास विभाग, इन्दौर के सहयोग से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया गया। सभी महिलाओं के हाथ सेनेटाईज कराते हुए और मास्क पहनना सुनिश्चित करते हुए आयोजन किया गया।
शिविर में उपस्थित करीब 78 महिलाओं को महिलाओं से संबंधित संवैधानिक, दीवानी/आपराधिक कानूनों के बारे में अपर जिला न्यायाधीश एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मनीष कुमार श्रीवास्तव, रिसोर्स पर्सन पूजा खेत्रपाल एवं शैली खत्री द्वारा जानकारी देते हुए जागरूक किया गया। विधिक जागरूता शिविर में महिलाओं एवं बालकों के विरूद्ध अपराध जैसे बलात्संग, छेड़छाड़, दहेज मृत्यु, आत्महत्या, क्रूरता, लैंगिंक उत्पीड़न, भ्रूण हत्या, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिंक उत्पीडन, लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, गिरफ्तार एवं बंदी महिलाओं के अधिकार, महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधित अधिकार, बाल विवाह एवं माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के रख रखाव एवं कल्याण, घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण इत्यादि कानूनों एवं आगामी नेशनल लोक अदालत 12 दिसम्बर 2020 के संबंध में जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त नालसा एवं सालसा की संचालित योजनाओं, पीडित प्रतिकर योजना एवं महिलाओं को निःशुल्क विधिक सहायता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से प्राप्त करने के अधिकारों के संबंध में जानकारी दी गई।
सचिव मनीष श्रीवास्तव ने साक्षरता शिविर में जानकारी देते हुए बताया कि अकसर ऐसा देखने में आता है कि विवाहित महिला स्टाम्प पेपर पर लिखा पढ़ी कर अपने पति से तलाक लेकर अन्य व्यक्ति से विवाह कर लेती है और उसे नोटराईज करा लेती है, जो कि विधि की दृष्टि में मान्य विवाह विच्छेद या विवाह नहीं होता है और ऐसे नोटरीकृत दस्तावेज पर लिखी गई शादी या विवाह विच्छेद के आधार पर महिला को कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
शिविर में यह भी जानकारी दी गई है कि विवाह के समय स्त्री को जो उपहार उसके माता-पिता, रिश्तेदारों और परिचितों द्वारा भेट स्वरूप दिये जाते है, वे सब स्त्रीधन होते हैं और उन पर स्त्री का ही पूर्ण अधिकार होता है। स्त्री का स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार रहे इस हेतु स्त्री को और उसके माता-पिता को विवाह के समय या शीघ्र पश्चात् वधू को उपहार में दिये जाने वाले सामानों की सूची, उसका अनुमानित मूल्य, उपहार देने वाले व्यक्ति का नाम संधारित करते हुए उस पर वर-वधू के हस्ताक्षर एवं दो गवाहों के हस्ताक्षर कराकर उसे सुरक्षित रखना चाहिये, जिससे भविष्य में स्त्री का अपने ससुराल में वाद-विवाद होने और ससुराल से हट जाने की दशा में वह अपना स्त्रीधन न्यायालय के माध्यम से प्राप्त करने में सफल हो।
सचिव मनीष श्रीवास्तव ने लैंगिंक अपराधों से बालको के संरक्षण अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए यह भी बताया कि अधिनियम की धारा 40 के प्रावधानों के अनुसार बालक के साथ घटित लैंगिंक अपराधों के मामलें में बालक का कुटुम्ब या संरक्षक अपनी पसंद के विधिक सलाहकार की सहायता लेने का हकदार होता है और यदि बालक का संरक्षक या परिवार विधि सलाहकार का व्यय उठाने में असमर्थ हो तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पीड़ित को निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध करायेगा।
शिविर में यह भी जानकारी दी गई कि यदि किसी महिला के पति, पुत्र की हत्या कर दी जाती है, तो कमाने वाले व्यक्ति की हत्या की दशा में घटना से 180 दिन के अंदर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इंदौर के कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किये जाने पर अधिकतम 4 लाख रूपये तक का प्रतिकर दिया जा सकता है और यदि मृतक आय अर्जित करने वाला व्यक्ति नहीं है, तो 2 लाख रूपये तक का प्रतिकर दिया जाता है। इसी प्रकार बालक के साथ बलात्कार या लैंगिंक शोषण के मामले में भी विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रतिकर के रूप में मुआवजा दिया जाता है और एसिड अटेक के मामले में एसिड फैंके जाने से कू्ररूपता आने की दशा में शासकीय अस्पताल में निःशुल्क ईलाज की व्यवस्था एवं प्रतिकर दिलाये जाने के प्रावधानों की जानकारी भी दी गई। शिविर में महेश मोर्य परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास राऊ, वंचना सिंह परिहार प्रशासिका वन स्टॉप सेंटर जिला इन्दौर की भी सभागिता रही। कार्यक्रम का संचालन पैनल अधिवक्ता पिंकी सुनहरे द्वारा किया गया।