भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्‍यान, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

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सावन का महीना 25 जुलाई 2021 से शुरू हो रहा है। श्रावण मास भगवान महादेव को बेहद प्रिय होता है। हालांकि इस महीने में विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य तो स्थगित रहते हैं परंतु इसके बावजूद सावन मास में धार्मिक कृत्य होते रहते हैं। सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। साथ ही इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पूजा में शिवजी की प्रिय चीजें अर्पित की जाती हैं और इन्हीं में बेलपत्र भी शामिल है।

How To Offer Bel Patra On Shivling In Sawan Month 2018 - Sawan month 2018:  सावन में शिव जी को ऐसे चढ़ाए बेलपत्र, नहीं तो हो जाएगा अनर्थ | Patrika News

बेल पत्र भोलेनाथ को बहुत ही प्रिय है। बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में एक कथा है कि एक बार देवी पार्वती ने अपने ललाट से पसीना पोंछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी का वास माना गया है। कहते हैं इसी कारण शिवजी को बेलपत्र प्रिय है। लेकिन जटाधारी को बेलपत्र अर्पित करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं…

सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से नष्ट होते हैं सभी पाप

-भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय सबसे पहले बेलपत्र की दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है। भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।

-जब आप भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं।शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

-बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला गुच्छा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है। बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। कटी-फटी पत्तियां कभी न चढ़ाएं।

-बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।

-कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।