इंदौर (Indore) के करीब एक सदी पुराने कृषि महाविद्यालय (agricultural college) को शहर से बाहर करने की प्रदेश सरकार की योजना है। जिसे लेकर छात्रों का आरोप है कि 3000 करोड़ से ज्यादा की इस जमीन को सिटी पार्क, आवासीय और व्यवसायिक योजनाओं के नाम पर निजी क्षेत्रों को सौंपने की शिवराज सरकार की तैयारी है। विभिन्न छात्र संगठनों के साथ ही किसान संगठन भी प्रदेश सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह प्रदेश का एकमात्र कृषि विवि है, जहां देश में सीड रिप्लेसमेंट (seed replacement) के लिए छात्र-छात्राएं बीज तैयार करते हैं।
280 एकड़ से भी ज्यादा में फैला है कृषि महाविधालय परिसर
कृषि महाविधालय परिसर 280 एकड़ से भी ज्यादा में जमीन पर फैला है। इसके एक हिस्से में कॉलेज है, दूसरे में शोध सहित दूसरे काम होते हैं। ज्ञातव्य है कि कृषि कॉलेज की पूरी जमीन की कीमत लगभग 3000 करोड़ है। यहां के अनुसंधान केंद्र में बहुत बड़ी संख्या में ब्रीडर सीड बने हैं जिससे किसानों को प्रामाणिक बीज उपलब्ध होते हैं ।
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पूर्व में इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में बदलने की योजना थी
जानकारी के अनुसार पूर्व में इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में बदलने की योजना थी। इसके साथ ही कृषि मंत्री के द्वारा इस महाविद्यालय का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कृषि विश्वविद्यालय करने का ऐलान भी किया था। इस महाविद्यालय परिसर में लगभग 90 साल से ज्वार, चना,सोयाबीन सहित मिट्टी परीक्षण, जल प्रबंधन की कई तकनीकों पर काम और अनुंसधान हो रहा है। कई दशकों पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक सर अल्बर्ट हावार्ड ने इसी कृषि महाविद्यालय में जैविक अनुसंधान कर कंपोस्ट विधि से जैविक खाद तैयार की थी जिसे देखने स्वयं महात्मा गांधी भी इंदौर के इस कृषि महाविद्यालय में आए थे। इस कृषि महाविद्यालय की जमीन के व्यवसायिक उपयोग से छात्रों और किसानों में विशेष आक्रोश है।