Indore : श्वसन समस्या को लेकर ओपीडी में बुजुर्गों से ज्यादा युवा वर्ग, कुछ सालों में 10 प्रतिशत तक हुई बढ़ोतरी – डॉ. रवी अशोक डोसी कोकिलाबेन अंबानी हॉस्पिटल

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इंदौर। आज के दौर में बच्चे मोबाइल पर अधिक समय देते हैं, वहीं खेल कूद और अन्य शारीरिक एक्टिविटी कम होती जा रही है। इस वजह से बच्चों के फेफड़ों का विकास कमजोर होता है, जिससे उन्हें आगे चलकर समस्या आती है। पहले लोगों में इम्यूनिटी अच्छी थी तो रोगों से लड़ने के लिए दवाईयां अच्छी नही थी, आज दवाईयां है तो हमारी इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है। यह बात पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर रवी अशोक डोसी ने अपने साक्षात्कार में कही। वह शहर के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में श्वसन रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

60 की उम्र में होने वाले रोग 40 में देखने को मिल रहे

उन्होंने अपनी एमबीबीएस की शिक्षा एमजीएम मेडिकल कॉलेज और डीटीसीडी में मास्टर एमवायएच इंदौर से किया है। इसके बाद यशोदा हॉस्पिटल सिकंदराबाद में डीएनबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने ब्रोंकोस्कॉपी, निद्रा रोग, एलर्जी से संबंधित फेलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया।

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उन्होंने शहर के अरविंदो हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है, उन्होंने बताया कि कोविड की वजह से बीमारियों का पैटर्न बदल गया है, वहीं बदलता मौसम, इम्यूनिटी, प्रदूषण और अन्य समस्या से संबंधित ऐसे कई रोग है जो पहले 60 साल की उम्र तक देखने को मिलते थे जो अब 40 साल की उम्र में देखने को मिल रहे हैं। अगर बात श्वसन समस्या की करी जाए तो इसमें 10 प्रतिशत तक उछाल आया है। लोगों में एलर्जी, सांस लेने में समस्या बढ़ती जा रही है।

बुजुर्गों से ज्यादा है युवाओं में श्वसन समस्या

वह बताते हैं कि हमारी ओपीडी में श्वसन समस्या को लेकर युवा वर्ग बुजुर्गो के मुकाबले ज्यादा है। हवा की नालियों का सिकुड़ जाना और कफ जमा हो जाने से ब्रोंकाइटिस रोग काफी बढ़ गया है, इसके कारणों में बाहर का खाना, स्मोकिंग, प्रदूषण और अन्य शामिल है। व्यक्ति जितनी जल्दी स्मोकिंग छोड़ता है उतनी जल्दी वह स्वस्थ हो सकता है। स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति में सीओपीडी, लंग कैंसर, श्वसन में दिक्कत और अन्य समस्या देखने को मिलती है।

फोन का ज्यादा इस्तेमाल, मोटापा, डायबिटीज और अन्य कारण है अनिद्रा के

पहले लोग 10 बजे तक so जाते थे, आजकल सोने और उठने का कोई शेड्यूल नही है। आज के दौर में लोग रात भर या देर रात तक फोन चलाते रहते हैं, उनमें अनिद्रा की समस्या देखने को मिलती है, वहीं ऐसे लोग जो मोटापे का शिकार है, अल्कोहल, स्मोकिंग करते हैं, डाउन सिंड्रोम, थायरॉयड की बीमारी है ऐसे लोगों में अनिद्रा की समस्या पाई जाती है।

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वहीं अनिद्रा की समस्या कुछ हद तक जेनेटिक भी होती है, इसी के साथ ऐसे बच्चें जिनका वजन सामान्य से ज्यादा होना, टॉन्सिल्स और अन्य बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है। युवा, बुजुर्ग और बच्चों में होने वाली इस समस्या के समाधान के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए, वहीं मोबाइल फोन जैसी चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए।