सोमवार को लखीमपुर खीरी के मुस्तफाबाद स्थित कबीरधाम में आयोजित संत क्षमा देव और गुरमन देव के स्मृति जन्मोत्सव मेले में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब उन्होंने गांव के नाम ‘मुस्तफाबाद’ के बारे में जानकारी ली, तो पता चला कि यहां मुस्लिम आबादी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस गांव का नाम ‘कबीरधाम’ होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है और शीघ्र ही मुस्तफाबाद का नाम आधिकारिक रूप से ‘कबीरधाम’ कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार राष्ट्रहित की भावना से कार्य कर रही है, जबकि 2014 से पहले ऐसी सोच दिखाई नहीं देती थी। उस समय हिंदू आस्था पर प्रहार करने और देश की संपत्ति का दुरुपयोग करने का काम होता था। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा शासन में अयोध्या और काशी सहित धार्मिक आस्था से जुड़े स्थलों के विकास पर धन व्यय किया जा रहा है, जबकि पहले यही धन कब्रिस्तानों की बाउंड्री वॉल बनाने में लगाया जाता था।
धार्मिक आस्था को मिला नया सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचाने के लिए अयोध्या का नाम बदलकर फैजाबाद और प्रयागराज का नाम इलाहाबाद कर दिया था। लेकिन हमारी सरकार ने इन दोनों स्थानों को उनका प्राचीन और गौरवशाली नाम पुनः लौटाया। उसी क्रम में अब मुस्तफाबाद को कबीरधाम के नाम से पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कबीरधाम से जातिवाद पर प्रहार करते हुए समाज में एकता और सद्भाव का संदेश भी दिया।
समाज को बाँटने की साजिशें जारी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज भी समाज की आस्था को आहत करने और जातिगत आधार पर लोगों को बांटने के प्रयास जारी हैं। कई बार ऐसी बातें कही जाती हैं, जो भारत और उसकी संस्कृति का अपमान करती हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें सुधारना चाहिए। जैसे किसी बीमारी का समय पर इलाज आवश्यक होता है, वैसे ही समाज में फैली विसंगतियों और बुराइयों को संतों के मार्गदर्शन से दूर करना होगा। हमें उस पथ का अनुसरण करना चाहिए, जो हमें सन्मार्ग पर चलने और लोक तथा राष्ट्र के कल्याण के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दे।









