विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा की रणनीति है। भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया था और शुरुआत में इसे राजनीतिक लाभ के रूप में देखा भी, लेकिन अब पार्टी पदाधिकारियों में आशंका बढ़ने लगी है कि कहीं यह मामला लोकसभा चुनाव के ‘400 पार’ नारे की तरह उलटा प्रभाव न डाल दे। पहले पार्टी को केवल विरोधी विचारधारा वाले मतों में कटौती की उम्मीद थी, मगर ताज़ा आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि इससे खुद भाजपा को भी नुकसान हो सकता है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा की रणनीति है। भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया था और शुरुआत में इसे राजनीतिक लाभ के रूप में देखा भी, लेकिन अब पार्टी पदाधिकारियों में आशंका बढ़ने लगी है कि कहीं यह मामला लोकसभा चुनाव के ‘400 पार’ नारे की तरह उलटा प्रभाव न डाल दे। पहले पार्टी को केवल विरोधी विचारधारा वाले मतों में कटौती की उम्मीद थी, मगर ताज़ा आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि इससे खुद भाजपा को भी नुकसान हो सकता है।
पिछले तीन दिनों में मुख्यमंत्री ने मुरादाबाद, शामली, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, आजमगढ़ और बिजनौर जैसे जिलों के विधानसभा क्षेत्रों का उदाहरण देकर संकेत दिया है कि हालात पूरी तरह संतोषजनक नहीं हैं। आगरा में भी उन्होंने बिना नाम लिए यह चेताया कि शहरी मतदाताओं की निष्क्रियता और कार्यकर्ताओं का कमजोर प्रदर्शन भविष्य में मुश्किलें बढ़ा सकता है। शहरी क्षेत्रों में परंपरागत रूप से मजबूत रही भाजपा इसी आशंका के चलते अब संभावित नुकसान को टालने के लिए पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय हो गई है। अब देखना यह होगा कि 2027 के विधानसभा चुनावों में यह रणनीति पार्टी को क्या परिणाम देती है।








