”माँ के दर्द को समझो.. पुणे पोर्श केस में नाबालिक की रिहाई पर पीड़ित परिजन नाराज, कोर्ट में लगाई गुहार

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By Sandeep SharmaPublished On: June 26, 2024

पोर्श कार दुर्घटना में कथित रूप से शामिल नाबालिग लड़के को रिहा करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से लोगों में गहरी भावनाएं भड़क उठी हैं। दुर्घटना के पीड़ितों में से एक की मां ने न्यायाधीशों से एक शोक संतप्त मां के दर्द को समझने का आग्रह किया है।

क्या था, पुणे पोर्श कार दुर्घटना?
मध्य प्रदेश के आईटी पेशेवर अश्विनी कोष्टा और उनके दोस्त अनीश अवधिया की 19 मई की सुबह उस समय मौत हो गई, जब पुलिस को संदेह है कि नशे में गाड़ी चला रहा किशोर कार चला रहा था और कार उनके दोपहिया वाहन से पुणे के कल्याणी नगर इलाके में टकरा गई। बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने मंगलवार को किशोर को तत्काल निगरानी गृह से रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड के रिमांड आदेश अवैध हैं और बिना अधिकार क्षेत्र के पारित किए गए हैं।

मृतक अश्विनी कोष्टा की मां ममता कोष्टा ने कहा, मैं यह खबर देखकर स्तब्ध रह गई। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बहुत सोच-समझकर ही यह फैसला लिया होगा। हालांकि, मैं न्यायाधीशों से अनुरोध करती हूं कि वे उस मां के दर्द को समझें जिसने अपनी बेटी खो दी है। सजा उसी हिसाब से दी जानी चाहिए ताकि जनता न्याय व्यवस्था पर भरोसा कर सके । उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि कानून में क्या है। न्यायाधीशों से मेरा एकमात्र अनुरोध है कि वे उस मां के दर्द को समझें जिसने अपनी बेटी खो दी है। वहां कई लड़कियां रहती हैं और ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए।