PM मोदी की विदेश नीति पर शशि थरूर का समर्थन, खुलकर की प्रधानमंत्री की तारीफ

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक सक्रियता और संवाद क्षमता को भारत की कूटनीतिक ताकत बताते हुए सराहना की। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन, खासकर कोलंबिया और अमेरिका की सहमति, को विदेश नीति की बड़ी सफलता बताया।

Abhishek Singh
Published:

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनकी ऊर्जा, सक्रिय भागीदारी और संवाद की प्रतिबद्धता भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पूंजी है। हालांकि, थरूर की यह राय कांग्रेस की आधिकारिक नीति से भिन्न है, जो मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचक रही है। थरूर का यह लेख एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक सक्रियता को ‘राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद’ का प्रतीक बताया है।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ा, कोलंबिया के बाद अमेरिका भी आया साथ

शशि थरूर ने कहा कि भारत की कूटनीतिक सफलता इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि कोलंबिया ने पहले दिए गए उस बयान को वापस ले लिया, जिसमें पाकिस्तान में नागरिक मौतों पर संवेदना जताई गई थी, और अब उसने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिका में, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी के बावजूद, भारत के रुख को सहानुभूति मिली। अमेरिकी अधिकारियों ने इस विचार का समर्थन किया कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई जरूरी है।

थरूर का बयान क्यों बना चर्चा का विषय?

शशि थरूर ने अपने लेख में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी की ऊर्जा, सक्रिय भागीदारी और वैश्विक मंचों पर संवाद की तत्परता भारत की महत्वपूर्ण शक्ति है, जिसे और व्यापक समर्थन मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये भारत की कूटनीतिक सक्रियता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की स्थिति को और मजबूत किया है।

कूटनीतिक सफलता में राष्ट्रीय एकता की अहम भूमिका: थरूर

कांग्रेस नेता ने बताया कि उन्होंने सात सदस्यीय बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जिसने अमेरिका के साथ-साथ गयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील जैसे देशों का दौरा किया। इन यात्राओं का मकसद वैश्विक समुदाय को यह स्पष्ट करना था कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा में की गई थी, न कि किसी देश के खिलाफ युद्ध के रूप में। उन्होंने कहा, “हमारी एकजुटता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मजबूत संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर एकमत है, भले ही आंतरिक राजनीति में मतभेद मौजूद हों।”

कांग्रेस लाइन से हटकर बोले थरूर

शशि थरूर की यह टिप्पणी ऐसे समय पर सामने आई है जब कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की विदेश नीति, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में मध्यस्थता के दावे को लेकर, आलोचना कर रही है। थरूर को पहले भी पार्टी के भीतर इस बात को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी है कि वे कभी-कभी सरकार की कुछ विदेश नीति पहलों का समर्थन करते हैं। पिछले सप्ताह तिरुवनंतपुरम में उन्होंने स्वीकार किया था कि कुछ मुद्दों पर उनका पार्टी नेतृत्व से मतभेद है, लेकिन नीलांबुर उपचुनाव को देखते हुए वह फिलहाल इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहेंगे।