महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक के बाद राज्य सरकार ने संशोधित तबादला नीति 2025 के आदेश जारी कर दिए हैं। अब मंत्रियों को अपने विभागों में स्थानांतरण की अनुमति देने का अधिकार होगा, लेकिन यह केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकेगा।
तबादलों पर प्रतिबंध, लेकिन कुछ मामलों में मिलेगी छूट
सरकार ने राज्य स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, कुछ अपवादस्वरूप परिस्थितियों में तबादले किए जा सकेंगे। इसके लिए संबंधित विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।
किन मामलों में हो सकते हैं तबादले?
गंभीर बीमारी के आधार पर
- यदि कोई कर्मचारी कैंसर, लकवा, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो तबादला संभव होगा।
कोर्ट के आदेश के तहत
- यदि किसी न्यायालय द्वारा ऐसा आदेश दिया जाता है, जिसे मानना अनिवार्य हो और कोई अन्य विधिक विकल्प उपलब्ध न हो, तो तबादला किया जा सकता है।
- लेकिन इस स्थिति में कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित नहीं होनी चाहिए।
अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत
- यदि किसी कर्मचारी पर गंभीर अनियमितता, लापरवाही या भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो चुके हैं और उसके विरुद्ध मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) 1966 के नियम 14 या 16 के तहत कार्रवाई की जा चुकी है, तो उसे स्थानांतरित किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार या आपराधिक प्रकरण में संलिप्तता
- यदि लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू या पुलिस ने किसी कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया हो, या अभियोजन प्रक्रिया शुरू होने के कारण जांच प्रभावित होने की संभावना हो, तो उसका तबादला किया जाएगा।
प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर
- यदि निलंबन, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति, प्रतिनियुक्ति से वापसी या कर्मचारी के निधन के कारण किसी पद पर नियुक्ति की आवश्यकता हो, तो तबादला किया जा सकता है।
- लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जहां से ट्रांसफर किया जा रहा है, वहां पद रिक्त न हो और नए स्थान पर आवश्यकता से अधिक कर्मचारी न हों।
परियोजना पूर्ण होने पर
- किसी भी सरकारी परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद या उस पद के अन्यत्र स्थानांतरित होने की स्थिति में तबादला संभव होगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन अनिवार्य
यदि किसी तबादले का निर्णय मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित हो, तो संबंधित विभाग के सचिव को प्रशासकीय अनुमोदन लेकर आदेश जारी करना होगा। यदि तबादला नीति के अनुरूप नहीं पाया जाता, तो मामला विभागीय मंत्री और फिर मुख्यमंत्री कार्यालय को दोबारा अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।