एमपी में अंबानी के वनतारा की तर्ज पर बनेंगे दो बड़े जू, इन शहरों को मिलेगी बड़ी सौगात

मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन और जबलपुर में आधुनिक चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर स्थापित कर रही है, साथ ही वनतारा की तर्ज पर बड़ा एनिमल वेलफेयर प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित है। प्रदेश में नए कंजर्वेशन रिज़र्व, चीता पुनर्स्थापना और जलीय जीव संरक्षण जैसी योजनाओं पर भी तेज़ी से काम हो रहा है।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन की दिशा में बड़े स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। इसके तहत प्रदेश के दो प्रमुख शहरों उज्जैन और जबलपुर में अत्याधुनिक जू (चिड़ियाघर) और रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की जा रही है। यह पहल न केवल राज्य के जैव विविधता को संरक्षित करेगी, बल्कि पर्यावरण शिक्षा और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देगी।

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने जानकारी दी है कि उज्जैन के प्रस्तावित चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा चुकी है, जिसे अनुमोदन के लिए सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी (CZA), नई दिल्ली को भेजा गया है। वहीं जबलपुर में इस परियोजना पर कार्य तेज़ी से जारी है और वहां की DPR तैयार की जा रही है।

वनतारा की तर्ज पर मध्यप्रदेश में बड़ा रेस्क्यू सेंटर

गुजरात के प्रसिद्ध वनतारा वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर की तरह मध्यप्रदेश में भी एक बड़े रेस्क्यू और एनिमल वेलफेयर प्रोजेक्ट की स्थापना की योजना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाते हुए वन अधिकारियों को वनतारा का अध्ययन कर प्रदेश में ऐसी ही व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। जल्द ही अधिकारियों का एक दल गुजरात जाकर इस परियोजना की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगा।

संरक्षित क्षेत्र और नए कंजर्वेशन रिज़र्व

वन विभाग ओंकारेश्वर अभयारण्य, ताप्ती कंजर्वेशन रिज़र्व और बालाघाट के सोनेवानी क्षेत्र में नए कंजर्वेशन रिज़र्व स्थापित कर रहा है। इन प्रयासों से प्रदेश की जैव विविधता को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी और वन्यजीवों के सुरक्षित आवास भी सुनिश्चित होंगे।

चीता पुनर्स्थापना और जलीय जीव संरक्षण

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व में चीता पुनर्स्थापना की भी तैयारी चल रही है, जिसे इसी वर्ष शुरू करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही नर्मदा नदी में महाशीर मछली और चंबल नदी में कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जलीय जीवों के प्रजनन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे।

संरक्षित क्षेत्रों की फेंसिंग

वन्य जीवों की सुरक्षा और मानवीय हस्तक्षेप को रोकने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने लगभग 160 किलोमीटर तक संरक्षित क्षेत्रों की फेंसिंग कराने का प्रस्ताव भी रखा है। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी आएगी और दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।