UPI पेमेंट की रफ्तार ने बढ़ाई बैंकों की चिंता, भोपाल में बंद हो सकते हैं एटीएम

भोपाल में UPI के बढ़ते उपयोग के कारण एटीएम से लेन-देन में भारी गिरावट आई है, जिससे उनका संचालन घाटे का सौदा बन गया है। अधिकांश एटीएम अब प्रतिदिन केवल 10–20 ट्रांजैक्शन ही कर रहे हैं, जिसके चलते बैंक उन्हें बंद या शिफ्ट करने की तैयारी में हैं।

Abhishek Singh
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राजधानी भोपाल में यूपीआई के बढ़ते उपयोग के चलते कई स्थानों पर स्थापित एटीएम बंद होने की कगार पर हैं। बैंकों के अनुसार, एटीएम से लेन-देन की संख्या इतनी कम हो गई है कि संचालन का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। सरकारी बैंक आमतौर पर एटीएम का संचालन निजी कंपनियों को किराया देकर कराते हैं, जिन पर हर महीने दो से ढाई लाख रुपये तक का खर्च आता है। यह खर्च तभी वाजिब होता है जब प्रतिदिन कम से कम 100 ट्रांजैक्शन हों, जबकि 400 ट्रांजैक्शन प्रतिदिन पर एटीएम लाभ में रहता है। वर्तमान में स्थिति यह है कि अधिकांश एटीएम में प्रतिदिन केवल 10–20 ट्रांजैक्शन ही हो रहे हैं। इस कारण बैंक या तो एटीएम को बंद करने या उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं। फिलहाल भोपाल में कुल 993 एटीएम संचालित हो रहे हैं।

देश का पहला एटीएम 1987 में हुआ था शुरू

जानकारी के अनुसार, दुनिया का पहला एटीएम 27 जून 1967 को इंग्लैंड के उत्तर लंदन स्थित एनफील्ड कस्बे में स्थापित किया गया था। एटीएम का पूर्ण रूप ‘ऑटोमेटेड टेलर मशीन’ है, जिसे आमतौर पर एटीएम के नाम से जाना जाता है। भारत में पहली बार एटीएम वर्ष 1987 में लगाया गया था, जिसे मुंबई स्थित एचएसबीसी बैंक की शाखा ने स्थापित किया था। तब से अब तक दुनियाभर में लाखों एटीएम मशीनें लगाई जा चुकी हैं।

गांवों में भी ख़राब हो रही एटीएम की स्थिति

बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजधानी भोपाल में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी एटीएम का उपयोग नगण्य रह गया है। इसका प्रमुख कारण यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान माध्यमों का बढ़ता प्रचलन बताया जा रहा है। बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आलोक चक्रवर्ती ने बताया कि एटीएम बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जबकि जिन स्थानों पर इनकी सीमित उपयोगिता बनी हुई है, वहां उन्हें स्थानांतरित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वर्तमान रुझान को देखते हुए आने वाले समय में अधिकांश एटीएम बंद हो सकते हैं। केवल बैंक शाखाओं में स्थित वे एटीएम ही चालू रहेंगे, जिनमें नकद जमा और निकासी की सुविधा उपलब्ध है।

पहले एटीएम के जनक थे जॉन शेफर्ड-बैरोन

एटीएम मशीन के विकास का श्रेय जॉन शेफर्ड-बैरोन और उनकी इंजीनियरिंग टीम को दिया जाता है। शेफर्ड-बैरोन, जो उस समय ब्रिटिश प्रिंटिंग कंपनी डे लारू के लिए कार्यरत थे, ने अपनी टीम के साथ मिलकर डे लारू ऑटोमेटेड कैश सिस्टम नामक मशीन विकसित की थी। उन्हें इस तकनीक का विचार चॉकलेट वेंडिंग मशीन से प्रेरित होकर आया। जॉन शेफर्ड-बैरोन का जन्म 23 जून 1925 को भारत के शिलॉन्ग में हुआ था, और उनका निधन वर्ष 2010 में स्कॉटलैंड में हुआ।