अफसर को ईमानदारी पड़ी महंगी! चाय और समोसे घोटाले का किया पर्दाफाश, इनाम में मिला 600 KM दूर ट्रांसफर, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Author Picture
By Srashti BisenPublished On: June 26, 2025

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत पदस्थ एक अधिकारी ने जब कथित घोटाले का पर्दाफाश किया, तो उसे इनाम में 600 किलोमीटर दूर ट्रांसफर की “सजा” दे दी गई।

यह मामला जबलपुर जिले के मझौली ब्लॉक का है, जहां ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर अमित चंद्रा के पास एक दिन लगभग 30 लाख रुपए के खर्च से जुड़े बिल अप्रूवल के लिए भेजे गए। ये बिल मझौली अस्पताल के बीएमओ डॉ. पारस ठाकुर द्वारा भेजे गए थे।

बिलों की जांच के दौरान अमित को पता चला कि बड़ी मात्रा में चाय और समोसे की आपूर्ति दिखाई गई है, वो भी 20 किलोमीटर दूर स्थित एक दुकान से, जबकि अस्पताल के सामने ही चाय की कई दुकानों की उपलब्धता थी। इतना ही नहीं, चाय पहुंचाने के लिए बाकायदा फोर व्हीलर वाहन का इस्तेमाल दिखाया गया था।
अफसर को ईमानदारी पड़ी महंगी! चाय और समोसे घोटाले का किया पर्दाफाश, इनाम में मिला 600 KM दूर ट्रांसफर, हाईकोर्ट ने लगाई रोक अफसर को ईमानदारी पड़ी महंगी! चाय और समोसे घोटाले का किया पर्दाफाश, इनाम में मिला 600 KM दूर ट्रांसफर, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

600 किलोमीटर दूर तबादला

अमित चंद्रा ने जब इस अनियमितता पर सवाल उठाया और बिलों को अपलोड करने से इनकार किया, तो उन्होंने इसकी जानकारी विभाग के उच्च अधिकारियों को दी। उन्होंने जबलपुर के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ अधिकारियों को घोटाले की शिकायत भेजी। लेकिन भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने के बजाय, विभाग ने उन्हें प्रताड़ित करते हुए उनका तबादला मुरैना जिले में कर दिया, जो जबलपुर से करीब 600 किलोमीटर दूर है।

हाईकोर्ट की दखल से मिली राहत

इस अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ अमित चंद्रा ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की शरण ली। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक जैन की एकल पीठ ने सरकार के तबादला आदेश पर अंतरिम रोक लगाई और राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। यह फैसला ईमानदारी के पक्ष में एक उम्मीद की किरण माना जा रहा है।