मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को समत्व भवन में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध संघ के बीच हुए अनुबंध के अमल की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य में दुग्ध उत्पादन को वर्तमान 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में NDDB की विशेषज्ञता का लाभ प्रदेश के हर क्षेत्र को समान रूप से मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि प्रयास केवल सहकारी संस्थाओं तक सीमित न रहें, बल्कि निजी डेयरियों को भी तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अन्य राज्यों की उन्नत नस्ल की गाय-भैंसों को प्रदेश में लाने और किसानों तक सरलता से पहुंचाने की प्रक्रिया को अधिक सुगम बनाया जाए।
डॉ. मोहन यादव ने यह भी जोर देकर कहा कि प्रदेश में उत्पादित दूध का प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन स्थानीय स्तर पर ही किया जाए, ताकि डेयरी उत्पादों को तैयार कर उन्हें राज्य से बाहर भेजा जा सके। उन्होंने कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर, मिल्क पार्लर की स्थापना और ब्रांड प्रमोशन जैसी गतिविधियों को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए। बैठक में जानकारी दी गई कि एनडीडीबी ने प्रदेश के दुग्ध संघों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों का दायित्व अपने नामित अधिकारियों को सौंपा है। साथ ही, राज्य में दुग्ध सहकारिता के विस्तार, दूध संग्रह, प्रसंस्करण और विपणन के लिए तकनीक-आधारित अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। अगले पांच वर्षों में प्रदेश के कम से कम 50 प्रतिशत गांवों में प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियां स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने निजी विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे डेयरी टेक्नोलॉजी और पशुपालन से जुड़े पाठ्यक्रमों की शुरुआत करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को गौशालाओं से जोड़ा जाए ताकि उनके प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। बैठक में पशुपालन राज्य मंत्री लखन पटेल, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, एनडीडीबी के चेयरमैन मिनेश शाह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह योजना न केवल किसानों को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि मध्यप्रदेश को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।