एमपी के इन जिलों में शुरू होंगे NTPC के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स, बिजली उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

मध्यप्रदेश के नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी में एनटीपीसी द्वारा परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी, जिससे राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और अधोसंरचना विकास में समन्वय करेगी।

Srashti Bisen
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MP News : मध्यप्रदेश के नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी जिलों में जल्द ही अत्याधुनिक परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। इन प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को सौंपी गई है, जो देश में ऊर्जा क्षेत्र की एक अग्रणी संस्था है। यह पहल राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता को एक नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से की जा रही है।

राज्य सरकार का सहयोग और विशेष समिति का गठन

परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मण्डलोई कर रहे हैं। इस समिति में जल संसाधन, पर्यावरण, राजस्व और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, साथ ही नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी जिलों के कलेक्टरों को भी सदस्य बनाया गया है। यह समिति भूमि अधिग्रहण, जल आवंटन, पर्यावरणीय स्वीकृति, और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में समन्वय की भूमिका निभाएगी।

एनटीपीसी और परियोजना प्रबंधन

एनटीपीसी मुंबई और भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी भी इस समिति का हिस्सा हैं, जिनमें मुंबई से कार्यपालक निदेशक (परमाणु) और महाप्रबंधक एपी सनल, तथा भोपाल से महाप्रबंधक संदेश जायसवाल शामिल हैं। संदेश जायसवाल इस समिति के संयोजक होंगे। एनटीपीसी की यह टीम परियोजना स्थलों पर परमाणु ऊर्जा यूनिट्स की स्थापना के लिए कार्य कर रही है।

बिजली उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

प्रत्येक प्रस्तावित स्थल पर दो यूनिट्स के साथ कुल छह यूनिट्स लगाने की योजना बनाई गई है, जिनमें प्रत्येक यूनिट की क्षमता 1200 मेगावॉट होगी। इन परियोजनाओं के पूरा होने से राज्य की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में भारी इजाफा होगा, जिससे मध्यप्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा।

भूमि और अधोसंरचना का विकास

इन प्रोजेक्ट्स के लिए करीब 2000 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। समिति परियोजनाओं के लिए जरूरी जमीन की व्यवस्था, अधोसंरचना विकास, सार्वजनिक सुनवाई और पर्यावरणीय मंजूरियों जैसे सभी अहम पहलुओं में समन्वय स्थापित करेगी। साथ ही बिजली की निकासी के लिए जरूरी नेटवर्क और सपोर्ट सिस्टम को भी विकसित किया जाएगा।