मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन प्रक्रिया जारी है, लेकिन इसी बीच खरीदी को लेकर बड़ी बाधा सामने आई है। किसानों के लिए बैंक खातों से जुड़ा नया आदेश जारी किया गया है। आदेश के तहत शाखा प्रबंधकों को पंजीयन के दौरान किसानों के सहकारी बैंक खाते की जानकारी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, जिन किसानों के पास सहकारी बैंक में खाता नहीं है, उनके लिए नया खाता खोलकर उसे आधार से लिंक करने को कहा गया है। इससे किसानों में असंतोष बढ़ गया है। किसान संगठनों ने इस नियम को तानाशाही करार देते हुए इसका विरोध किया है और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
संयुक्त किसान मोर्चा अशोकनगर के संरक्षक जसदेव सिंह का कहना है कि किसानों को गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन कराने के नाम पर जबरन सहकारी बैंक में खाता खुलवाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे हजारों किसान परेशान हैं। उन्होंने कहा कि फसल किसानों की अपनी मेहनत का परिणाम है, इसलिए यह उनका अधिकार है कि भुगतान किस बैंक खाते में लिया जाए। किसी भी बैंक को इस तरह की जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
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10 हजार का भुगतान मुश्किल, लाखों का कैसे संभव?
किसानों और किसान संगठनों का कहना है कि जब बैंक सीजन के दौरान 10 हजार रुपये का भुगतान करने में सक्षम नहीं होती, तो वह किसानों के लाखों रुपये समय पर कैसे चुकाएगी। सरकारी खरीद में बेचे गए गेहूं का भुगतान मिलते ही किसान अपनी जरूरतों के लिए पूरी राशि निकालते हैं, लेकिन यदि सभी किसानों के भुगतान सहकारी बैंक खातों में किए जाएंगे, तो बैंक इसे कैसे संभालेगी? इससे किसानों को अपने ही पैसे निकालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। किसान संगठनों ने इस मामले में प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
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