1 अप्रैल से बढ़ेंगे खेती की जमीन से लेकर फ्लैट के दाम, MP में लागू होगी नई कलेक्टर गाइडलाइन

मध्य प्रदेश में आगामी 1 अप्रैल से कलेक्टर गाइडलाइन में 8 से 10 प्रतिशत तक वृद्धि की योजना है, जिसमें भोपाल और इंदौर में दरें 14% और 30% तक बढ़ सकती हैं। इससे रजिस्ट्री शुल्क और संपत्ति की कीमतों में इजाफा होगा, जो आम जनता पर वित्तीय दबाव डाल सकता है।

Srashti Bisen
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मध्य प्रदेश में आगामी 1 अप्रैल से कलेक्टर गाइडलाइन में औसतन 8 से 10 प्रतिशत तक वृद्धि की योजना बनाई गई है। राजधानी भोपाल में यह बढ़ोतरी 14 प्रतिशत तक हो सकती है, जबकि इंदौर में यह 30 प्रतिशत तक प्रस्तावित की गई है। यह बदलाव केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद लागू होगा। इस बढ़ोतरी के साथ रजिस्ट्री शुल्क और संपत्ति की कीमतें भी महंगी हो जाएंगी, जिससे आम जनता पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ सकता है।

2024-25 की गाइडलाइन में भी लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। लेकिन इस बार की गाइडलाइन में प्रस्तावित दरें अपेक्षाकृत अधिक हैं। इसके साथ ही कुछ अदृश्य उपबंधों को भी लागू किया जाएगा, जिनका असर सीधे रजिस्ट्री की लागत पर पड़ेगा। कृषि भूमि की रजिस्ट्री की कीमत में तो दोगुना इजाफा हो सकता है, वहीं फ्लैट्स की रजिस्ट्री की कीमत भी डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है। इस प्रकार, संपत्ति की रजिस्ट्री की लागत में यह वृद्धि न केवल रियल एस्टेट निवेशकों के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी चिंता का विषय बन सकती है।

जानें सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम और विंसेंट डेनियल प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सर्किल रेट्स या गाइडलाइन रेट्स को वैज्ञानिक, विशेषज्ञ-आधारित और वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करने वाली पद्धति से तय किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि इन दरों को कृत्रिम रूप से बढ़ाए जाने से बचना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी एक तरह से CREDAI (कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की लंबे समय से उठाई जा रही मांग का समर्थन करती है, जिसमें गाइडलाइन रेट्स को सही तरीके से और पारदर्शी ढंग से निर्धारित करने की आवश्यकता जताई गई थी।

रजिस्ट्री की लागत में हो रहा भारी इजाफा

CREDAI भोपाल के अध्यक्ष मनोज मीक ने इस मुद्दे पर कहा कि गाइडलाइन रेट्स की वृद्धि से रजिस्ट्री की लागत में भारी इजाफा हो रहा है। यह लगातार बढ़ोतरी रियल एस्टेट के क्षेत्र में और आम नागरिकों के लिए एक चुनौती बन गई है। क्रेडाई के प्रदेश अध्यक्ष धीरेश खरे ने भी इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार को वैज्ञानिक तरीके से दरों को बढ़ाना चाहिए, ताकि यह वृद्धि ज्यादा वाजिब और न्यायसंगत हो।

जिलों की मूल्यांकन समितियों की भूमिका

मध्य प्रदेश के रजिस्ट्री अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में सभी जिलों की गाइडलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से निर्धारित की जा रही है। केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड जल्द ही इन रेट्स पर निर्णय लेगा। जिलों की मूल्यांकन समितियाँ रजिस्ट्री के विश्लेषण और सालभर में हुई रजिस्ट्री के आधार पर दरें तय करती हैं।