चीन से पढ़े भारतीय छात्रों के लिए खुशखबरी, अब प्रीपीजी परीक्षा में हो सकेंगे शामिल

चीन से एमबीबीएस कर लौटे छात्रों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रीपीजी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है। कोर्ट ने इंटर्नशिप अवधि बढ़ाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार और मेडिकल काउंसिल से जवाब मांगा है।

Srashti Bisen
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चीन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इन छात्रों को प्रीपीजी परीक्षा के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।

साथ ही राज्य सरकार, मेडिकल काउंसिल और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। छात्रों ने याचिका के माध्यम से इंटर्नशिप अवधि बढ़ाने के निर्णय को चुनौती दी थी।

क्या है पूरा मामला

विदिशा निवासी डॉ. सौरभ रघुवंशी, उज्जैन निवासी डॉ. जय शर्मा सहित कुल आठ छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने 2017 में चीन के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था। लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते वर्ष 2019 में उन्हें भारत लौटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से पूरी की।

कोरोना काल में बदली इंटर्नशिप की शर्तें

कोरोना महामारी के दौरान विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करके लौटे छात्रों के लिए मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल ने इंटर्नशिप की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष कर दी थी। इस फैसले के अनुसार, इन छात्रों की इंटर्नशिप 31 मार्च 2025 तक पूरी होनी थी। लेकिन नवंबर 2024 में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने यूक्रेन और फिलीपींस से एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए इंटर्नशिप तीन साल की अनिवार्य कर दी। इसके बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने यह नया नियम सभी विदेशी एमबीबीएस छात्रों पर लागू कर दिया।

प्रीपीजी परीक्षा से वंचित होने का खतरा

छात्रों का कहना है कि जून-जुलाई 2025 में होने वाली प्रीपीजी परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 7 मई 2025 है। लेकिन इंटर्नशिप अवधि एक साल और बढ़ा देने के कारण वे परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे, जिससे उनका एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक वर्ष खराब हो सकता है। छात्रों ने कोर्ट से इस फैसले को चुनौती देते हुए आवेदन की अनुमति मांगी।

हाईकोर्ट ने दी अंतरिम राहत

याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एमपी मेडिकल काउंसिल को निर्देश दिया कि वह छात्रों को ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति दे। साथ ही इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से जवाब भी तलब किया गया है।