MP सरकार ने वापस लिया कदम, सरकारी अस्पतालों का नहीं होगा निजीकरण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए: सरकारी अस्पतालों का संचालन अब फिर से सरकारी तंत्र द्वारा होगा और निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए नई नीति के तहत सरकारी जमीन पर एक रुपये के प्रतीकात्मक शुल्क पर जमीन दी जाएगी। इसके अलावा, चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिलेगा, जो मई 2025 से लागू होगा।

Srashti Bisen
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MP News : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में दो बड़े फैसले लिए गए, जिनका सीधा असर राज्य के नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा।

इन निर्णयों से प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी कर्मचारियों की स्थिति में अहम बदलाव आएगा। आइए, इन निर्णयों पर विस्तार से नजर डालते हैं।

सरकारी अस्पतालों पर रहेगा राज्य सरकार का नियंत्रण

प्रदेश सरकार ने पहले निर्णय लिया था कि सरकारी जिला अस्पतालों को निजी मेडिकल कॉलेजों के अधीन सौंपा जाएगा, लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसे वापस ले लिया है। इसके परिणामस्वरूप, इन अस्पतालों का संचालन पहले जैसा सरकारी तंत्र के द्वारा ही किया जाएगा। हालांकि, निजी मेडिकल कॉलेजों को सुविधाएं देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत सहयोग दिया जाएगा, लेकिन अस्पतालों के संचालन में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए सरकारी जमीन पर नई नीति

सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई नीति बनाई है, जिसके तहत PPP मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज खोलने वाले संस्थानों को 25 एकड़ जमीन सिर्फ एक रुपए के प्रतीकात्मक शुल्क पर दी जाएगी। पहले, कॉलेजों को अपनी जमीन खुद व्यवस्था करनी पड़ती थी, लेकिन अब सरकार ने उन्हें इस खर्च से राहत देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, इन कॉलेजों के साथ काम करने के लिए एक संचालन समिति बनाई जाएगी, जिसमें निजी कॉलेजों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जिससे उनकी वैधानिक आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा सकेगा।

चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा पदोन्नति का लाभ

सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे प्रदेश के चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी लाभान्वित होंगे। राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को पदोन्नति देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिसके तहत वे कर्मचारी, जो पिछले नौ सालों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे, मई 2025 से इसका लाभ प्राप्त करना शुरू करेंगे। इस फैसले से न केवल उनके पद में वृद्धि होगी, बल्कि वेतन में भी हजारों रुपये का इजाफा होगा। मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को कर्मचारियों के लिए राहत देने वाला और सम्मानजनक बताया है। कई कर्मचारी, जो पदोन्नति का इंतजार करते-करते सेवानिवृत्त हो चुके थे, अब यह बदलाव उनके लिए सम्मानजनक साबित होगा।

पदोन्नति विवाद पर थमा निर्णय

पदोन्नति के इस निर्णय को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था, खासकर आरक्षण को लेकर। शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ सरकार के दौरान इस विवाद का समाधान नहीं निकल सका था। लेकिन अब मोहन यादव सरकार ने इस मुद्दे को हल करते हुए पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार, वरिष्ठ स्तर पर पदोन्नति से संबंधित फॉर्मूले तैयार कर लिए गए हैं, और कुछ लंबित मामलों को इस महीने सुलझा लिया जाएगा।