कर्ज के बोझ तले मोहन सरकार फिर लेगी 5000 करोड़, एमपी पर अब तक 4.21 लाख करोड़ का कर्ज

मध्य प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2025 तक 4.21 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है और अब वह 6 मई को 2500 करोड़ रुपए का नया कर्ज ले रही है, जिसे विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार प्रदेश को 'कर्ज प्रदेश' बना रही है और वित्तीय पारदर्शिता नहीं दिखा रही है।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश में नए वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत को अभी महज एक महीना ही हुआ है, और सरकार ने एक बार फिर कर्ज लेने की तैयारी शुरू कर दी है। अप्रैल के पूरे महीने में राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार का ऋण नहीं लिया, लेकिन अब मई की शुरुआत में ही 5,000 करोड़ रुपए का बड़ा कर्ज उठाने जा रही है। यह कर्ज दो अलग-अलग किश्तों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से प्राप्त किया जाएगा। संबंधित प्रक्रिया 6 मई को पूरी कर ली जाएगी और इसके बाद 7 मई को राशि का वितरण होगा।

वित्त विभाग द्वारा जारी आधिकारिक सूचना के मुताबिक, यह दोनों ऋण दीर्घकालिक होंगे। पहली किश्त के तहत राज्य सरकार 2,500 करोड़ रुपए की राशि 12 वर्षों के लिए लेगी, जिसे 7 मई 2037 तक चुकाना होगा। वहीं दूसरी किश्त भी 2,500 करोड़ रुपए की ही होगी, लेकिन इसकी अवधि 14 साल की होगी और इसका भुगतान 7 मई 2039 को किया जाएगा।

राज्य सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में लिया जा सकता है कर्ज

राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सरकार को सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले तीन प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति है। इसके अलावा, ऊर्जा और नगरीय विकास क्षेत्रों में आधारभूत सुधारों के लिए सरकार अतिरिक्त 0.5% कर्ज ले सकती है। अधिकारियों का कहना है कि अब तक लिया गया कर्ज वित्तीय अनुशासन और ‘राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम’ (FRBM Act) के दायरे में ही रहा है।

क्यों वित्तीय वर्ष की शुरुआत में लिया जाता है कर्ज?

सरकार आमतौर पर वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में कर्ज लेना पसंद करती है क्योंकि इस समय ब्याज दरें तुलनात्मक रूप से कम होती हैं। इससे राज्य को सस्ती दरों पर पूंजी मिल जाती है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर योजनाओं को शुरू करने या तेज़ी से लागू करने में किया जा सकता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार ने मई महीने में ही नया कर्ज लेने की योजना बनाई है।

ब्याज चुकाने में ही खर्च होंगे 29 हजार करोड़ रुपए

एक अहम चिंता यह भी है कि सरकार को वर्ष 2025-26 में केवल कर्ज पर ब्याज चुकाने के लिए ही लगभग 29,000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यह रकम किसी भी बड़ी योजना या परियोजना के वार्षिक खर्च से कई गुना अधिक है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि बड़ी राशि ब्याज भुगतान में चली जाती है, तो जनहित की योजनाओं के लिए सरकार के पास कितनी बचत रह जाएगी?

विपक्ष का आरोप – “भाजपा बना रही है एमपी को कर्ज प्रदेश”

सरकार की कर्ज नीति को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार मध्य प्रदेश को ‘कर्ज प्रदेश’ बना रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अब तक लिए गए कर्ज का उपयोग आमजन के हित में होता नहीं दिखा है। उनके अनुसार, सरकार को अपनी आर्थिक स्थिति पर पारदर्शिता बरतनी चाहिए और जनता के सामने एक ‘श्वेतपत्र’ (White Paper) जारी कर पूरी वित्तीय तस्वीर स्पष्ट करनी चाहिए।