मोहन सरकार का बड़ा फैसला, नरवाई जलाने पर नहीं मिलेगी किसान सम्मान निधि, MSP पर फसल बेचने से भी रोक

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By Srashti BisenPublished On: April 25, 2025
MP News

मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और खेती की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब खेतों में नरवाई (फसल की कटाई के बाद बचा हुआ हिस्सा) जलाने वाले किसानों को सरकार की तरफ से मिलने वाली सीएम किसान सम्मान निधि की राशि यानी सालाना ₹6,000 नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं, ऐसे किसान अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भी नहीं बेच सकेंगे। यह फैसला 1 मई 2025 से लागू कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने यह निर्णय राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पहले से ही नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद इसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नरवाई जलाने से न सिर्फ वायु प्रदूषण होता है, बल्कि मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व भी जलकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेत की उर्वरक क्षमता में भारी गिरावट आती है। ऐसे में पर्यावरण और कृषि दोनों के हित में यह फैसला जरूरी हो गया था।

अतिक्रमण पर भी चलेगा विशेष अभियान

बैठक में सीएम ने सरकारी जमीनों, तालाबों, कुंओं, बावड़ियों और सार्वजनिक रास्तों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए सख्त और विशेष अभियान चलाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के तहत जल स्रोतों का संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित किया जाए। इसके अंतर्गत सभी अमृत सरोवर, नहरें, बांध, तालाब और अन्य जल संरचनाएं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होनी चाहिए और उन्हें पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किया जाए।

राजस्व कार्यों में तेजी लाने के निर्देश

मुख्यमंत्री ने नामांतरण, बंटवारा और भूमि अधिग्रहण जैसे राजस्व संबंधी मामलों का समय सीमा में निपटारा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों का नियमित निरीक्षण किया जाए और लंबित मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाए ताकि जनता को समय पर सेवाएं मिल सकें।

साइबर तहसील परियोजना

सीएम ने मध्यप्रदेश की साइबर तहसील परियोजना को लेकर भी अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह योजना डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसे स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार” से नवाजा गया है। अब तक साइबर तहसील 1.0 और 2.0 में मिलाकर 2.75 लाख से अधिक मामलों का समाधान किया जा चुका है।

अब साइबर तहसील 3.0 में नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती, नक्शा संशोधन और सीमांकन जैसे 7 लाख से अधिक प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। पहले दो चरणों में ही 80 लाख से अधिक लंबित मामलों का निपटारा हो चुका है, जिससे किसानों और आम जनता को बड़ी राहत मिली है।