बाबा महाकाल करेंगे 11 नदियों के जल से स्नान, जानें आखिर क्यों लिया गया ये फैसला?

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए 13 अप्रैल 2025 से विशेष जलाभिषेक की परंपरा शुरू की जाएगी, जिसमें 11 प्रमुख नदियों का पवित्र जल अर्पित किया जाएगा। यह जलाभिषेक दो महीने तक जारी रहेगा, और इसमें चांदी तथा मिट्टी के कलशों का उपयोग किया जाएगा। इस परंपरा का उद्देश्य बाबा महाकाल को शीतलता प्रदान करना है।

Srashti Bisen
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Makahal Temple Ujjain : उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए एक अनूठी और खास परंपरा शुरू होने जा रही है। इस परंपरा के तहत अब बाबा महाकाल को भस्म आरती के बाद ठंडक पहुंचाने के लिए जलाभिषेक किया जाएगा, जो संध्या आरती तक निरंतर जारी रहेगा। इस जलाभिषेक में 11 प्रमुख नदियों के पवित्र जल का उपयोग किया जाएगा। यह कदम बाबा महाकाल के भक्तों द्वारा उनकी शीतलता और आराम के लिए उठाया जा रहा है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित महेश शर्मा के अनुसार, 13 अप्रैल 2025 को वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के शिवलिंग पर 11 मटकियां रखी जाएंगी, जिनमें 11 प्रमुख नदियों का जल होगा। यह जलाभिषेक दो माह तक जारी रहेगा। इन नदियों में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, सरयू, कावेरी, गोदावरी, महानदी, शिप्रा, और ब्रह्मपुत्र का जल शामिल होगा। इसका उद्देश्य सभी नदियों के पवित्र जल को बाबा महाकाल को अर्पित करना है।

चांदी और मिट्टी के कलश से होगा जलाभिषेक

पंडित महेश शर्मा ने बताया कि इस विशेष जलाभिषेक के दौरान बाबा महाकाल को चांदी के कलश से जल अर्पित किया जाएगा। लेकिन वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर दो महीने तक चांदी के साथ-साथ मिट्टी के कलश से भी जलाभिषेक किया जाएगा। इस परंपरा का उद्देश्य बाबा महाकाल को शीतलता प्रदान करना है, क्योंकि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, जहां ठंडक रहती है और बाबा महाकाल को भी गर्मी से बचाने की यह परंपरा खास है।

हर मौसम में बदलती हैं मंदिर की व्यवस्थाएँ

श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर मौसम के हिसाब से व्यवस्थाएँ बदली जाती हैं। गर्मी के मौसम में बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है और 11 मटकियां रखी जाती हैं। वहीं ठंड के मौसम में बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया जाता है और मंदिर में हीटर लगाए जाते हैं ताकि ठंड के मौसम में बाबा महाकाल को आराम मिल सके। यह परंपरा साल दर साल जारी रहती है।

वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में भी बदलाव

जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढ़ेगा, वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में भी भगवान को गर्मी से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। इस्कॉन मंदिर के पीआरओ पंडित राघव दास ने बताया कि गर्मी में भगवान को चंदन का लेप लगाया जाएगा और एसी भी चलाए जाएंगे। इसके अलावा, भगवान को ठंडे पदार्थों का भोग भी अर्पित किया जाएगा ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके।