‘पढ़ो वेद, नौकरी पाओ’, स्कूल छोड़ चुके युवाओं के लिए सुनहरा अवसर, एमपी के इन तीन जिलों में होगा पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ

मध्यप्रदेश सरकार ने स्कूल छोड़ चुके बच्चों को तकनीकी शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'वेद' योजना शुरू की है, जिसे पहले चरण में तीन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। इस दो वर्षीय कोर्स में आठ तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसे दसवीं के समकक्ष मान्यता मिलेगी।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश सरकार ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक नई पहल की है। इसके तहत राज्य में ‘वोकेशनल एजुकेशन फॉर ड्रॉपआउट’ (Veda) नामक योजना शुरू की जा रही है, जिसका उद्देश्य है कि पढ़ाई से वंचित हो चुके बच्चों को तकनीकी शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए।

इस योजना का संचालन मप्र राज्य ओपन बोर्ड द्वारा किया जाएगा और इसे पहले चरण में तीन जिलों के विशेष विधानसभा क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा।

तीन जिलों में होगा पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ

‘वेद’ योजना की शुरुआत मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के उज्जैन दक्षिण, नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा, और राजगढ़ जिले के सारंगपुर क्षेत्र से की जा रही है। इन क्षेत्रों में जून से बच्चों का एडमिशन शुरू होगा और विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जाएगी। शुरुआती चरण में करीब 1200 छात्रों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।

तकनीकी शिक्षा का नया स्वरूप

यह योजना तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव रघुराम राजेन्द्रन की सोच का परिणाम है। इसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल डेवलपमेंट और पंडित सुंदरलाल शर्मा वोकेशनल इंस्टीट्यूट को सहयोगी संस्थानों के रूप में जोड़ा गया है। योजना के तहत दो साल का एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें आठ प्रमुख तकनीकी क्षेत्रों में छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।

व्यावसायिक प्रशिक्षण के खास क्षेत्र

इस पाठ्यक्रम में प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल रिपेयरिंग, फैब्रिक डिजाइनिंग, रेफ्रिजरेशन, एयर कंडीशनिंग, और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मरम्मत जैसे आधुनिक और व्यावसायिक हुनर शामिल हैं। यह सभी कोर्स इस तरह डिज़ाइन किए गए हैं कि छात्र को न केवल रोजगार मिले, बल्कि वे अपना खुद का व्यवसाय या कारखाना भी स्थापित कर सकें।

माध्यम और शैक्षणिक व्यवस्था

पाठ्यक्रम का माध्यम मुख्य रूप से हिंदी और संस्कृत होगा, जबकि अंग्रेजी को तीसरे विषय के रूप में रखा गया है। छात्रों की व्यावहारिक जानकारी के लिए आठ अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी, जो IIT स्तर की सुविधाओं से सुसज्जित होंगी। साथ ही, इस कोर्स को दसवीं के समकक्ष शिक्षा के रूप में मान्यता दी जाएगी, जिससे छात्रों को भविष्य में उच्च शिक्षा में भी अवसर मिल सकेगा।

‘वेद’ योजना न केवल ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का कार्य करेगी, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकी कौशल देकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्रदान करेगी। दो साल का यह कोर्स बच्चों को न केवल एक बेहतर नौकरी दिला सकता है, बल्कि उन्हें उद्यमिता की राह पर भी ले जा सकता है। यह एक मॉडल योजना है, जो यदि सफल रही, तो इसे पूरे प्रदेश में विस्तारित किया जा सकता है।