Indore की ये सोसायटी नहीं फैलाती गंदगी, बल्कि बना रही है ईको-ब्रिक

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By Srashti BisenPublished On: April 14, 2025
Indore News

आज भी हम अकसर सड़कों के किनारे, पार्कों में या गलियों में खाली पानी की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक के कैन और पॉलीथिन की थैलियाँ बिखरी हुई देखते हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह थमा नहीं है।

लेकिन इंदौर के बिचौली मर्दाना क्षेत्र की शालमार पॉम टाउनशिप ने इस समस्या को एक अवसर में बदल दिया है। यहां प्लास्टिक कचरे को फेंका नहीं जाता, बल्कि उसे ईको-ब्रिक्स में बदलकर समाज और पर्यावरण के काम लाया जा रहा है।

क्या है ईको-ब्रिक्स की क्रांतिकारी पहल?

शालमार पॉम टाउनशिप में शुरू की गई यह पहल आज इंदौर के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी है। यहां पिछले 5 वर्षों में 2000 से भी अधिक ईको-ब्रिक्स तैयार की जा चुकी हैं। इन ईको-ब्रिक्स का इस्तेमाल सोसायटी के गार्डन, पेड़-पौधों की क्यारियाँ और अन्य सजावटी संरचनाओं में किया जा रहा है। ये ना केवल सुंदरता बढ़ा रही हैं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

कैसे बनती है ईको-ब्रिक?

ईको-ब्रिक कोई आम ईंट नहीं, बल्कि वेस्ट मैनेजमेंट का स्मार्ट तरीका है। इसे बनाने की प्रक्रिया बेहद आसान है, जिससे हर कोई जुड़ सकता है:

  • खाली पानी या कोल्ड ड्रिंक की बोतल लें।
  • उसमें घर में इकट्ठा हुआ पॉलीथिन, प्लास्टिक रैपर, सिंगल यूज प्लास्टिक कसकर भरें।
  • जब बोतल पूरी तरह सख्त हो जाए, तो यह बन जाती है एक मजबूत ईको-ब्रिक।

सोसायटी के सभी लोग इस कार्य में भाग ले रहे हैं। हर घर में खुद ईको-ब्रिक्स बनाई जाती हैं और फिर उन्हें एक कॉमन ब्रिक्स बॉक्स में जमा किया जाता है, जहाँ से उन्हें विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयोग किया जाता है।

सामूहिक प्रयास से बदल रही तस्वीर

यह पूरी मुहिम सामूहिक भागीदारी का बेहतरीन उदाहरण है। कोई भी व्यक्ति अकेला बदलाव नहीं ला सकता, लेकिन जब पूरी सोसायटी एक साथ कदम बढ़ाती है, तो परिणाम चौंकाने वाले होते हैं। शालमार पॉम के लोग यही कर रहे हैं।

अब इस पहल को देखकर शहर की अन्य टाउनशिप्स, स्कूल, कॉलेज और बड़े आयोजन भी इसे अपनाने लगे हैं। ईको-ब्रिक्स मुहिम को और व्यापक बनाने के लिए सोसायटी के सदस्य शिक्षण संस्थानों में जाकर बच्चों को प्लास्टिक प्रदूषण और ईको-ब्रिक्स के महत्व के बारे में समझा रहे हैं। यह शिक्षा आने वाली पीढ़ियों को जिम्मेदार नागरिक बनाएगी।

प्लास्टिक का खतरा कितना बड़ा है?

हर व्यक्ति सालाना 10 किलो तक सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करता है।

  • इनका सही निपटान न होने के कारण ये जल, जमीन और हवा तीनों को प्रदूषित करते हैं।
  • एक 1 लीटर की प्लास्टिक बोतल में यदि 400 ग्राम पॉलीथिन भर दी जाए, तो वह अकेली ही लगभग 100 वर्गफीट जमीन को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • लेकिन यदि यही पॉलीथिन ईको-ब्रिक में बदल जाए, तो ना केवल पर्यावरण बचता है, बल्कि प्लास्टिक को उपयोगी संसाधन में बदला जा सकता है।