इंदौर में नगर निगम द्वारा गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर फ्लैट आवंटित किए गए। सड़क निर्माण के लिए उनके पुराने घर हटाए गए, जिसके बदले में उन्हें शहर के विभिन्न क्षेत्रों में फ्लैट उपलब्ध कराए गए। हालांकि, इन आवासों में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गई। विशेष रूप से अहिरखेड़ी क्षेत्र में पुनर्वासित परिवार गंभीर जलसंकट का सामना कर रहे हैं। यहां 300 से अधिक परिवारों के लिए फ्लैट तो बनाए गए हैं, लेकिन भवनों में पानी की टंकियों की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
क्षेत्र में कराई गई बोरिंग से भी बहुत कम मात्रा में पानी निकल रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों को पानी के लिए दूर-दराज से पानी लाना पड़ रहा है। रहवासियों का कहना है कि नगर निगम अधिकारियों को पानी के टैंकर भेजने के लिए बार-बार फोन करना पड़ता है। जब टैंकर पहुंचते हैं, तो पहले पानी भरने की होड़ में लोगों के बीच झगड़े की स्थिति तक बन जाती है। कई परिवारों ने वैकल्पिक रूप से पानी लाने के लिए निजी टंकियों (कोठियों) का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

एमटीएच अस्पताल में भी जल संकट, टैंकर ही बना सहारा
एमजीएम कॉलेज से संबद्ध एमटीएच अस्पताल भी इन दिनों गंभीर जलसंकट से जूझ रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति नगर निगम के टैंकरों के माध्यम से की जा रही है। गर्मी के मौसम में यहां की बोरिंग व्यवस्था काम करना बंद कर देती है। बीते वर्ष जलसंकट की स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि सर्जरी जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाएं तक प्रभावित होने लगी थीं।
अस्पताल में कई बार डॉक्टरों को हाथ धोने के लिए भी पानी उपलब्ध नहीं होता। ऐसी स्थिति में सर्जरी के बाद वे स्पिरिट से ही हाथ साफ करने को मजबूर हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यहां प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में नगर निगम को अस्पताल में नर्मदा जल आपूर्ति का स्थायी और बड़ा कनेक्शन देना चाहिए, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। शौचालयों में पानी न होने के कारण भी मरीजों और उनके साथ आए लोगों को खासी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।