जाम ने ले ली तीन जिंदगियां, इंदौर-देवास हाईवे बना जंजाल, 32 घंटे जाम में फंसी 4000 गाड़ियां

देवास बायपास पर ब्रिज निर्माण के कारण करीब 32 घंटे तक लगे भीषण जाम में लगभग 4 हजार वाहन फंसे और तीन लोगों की मौत हो गई। खराब ट्रैफिक प्रबंधन ने यात्रियों को खासकर महिलाओं, बच्चों और आपातकालीन वाहन चालकों को गंभीर परेशानी में डाल दिया।

Srashti Bisen
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जाम ने ले ली तीन जिंदगियां, इंदौर-देवास हाईवे बना जंजाल, 32 घंटे जाम में फंसी 4000 गाड़ियां

देवास बायपास पर जारी ब्रिज निर्माण कार्य के कारण करीब 32 घंटे तक ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही, जिसमें लगभग 4 हजार वाहन फंसे रहे। इस भीषण जाम के चलते तीन लोगों की जान भी चली गई। गुरुवार दोपहर से शुरू हुआ यह जाम यात्री बसों, निजी वाहनों, स्कूल बसों और एंबुलेंस सहित कई प्रकार के वाहनों को प्रभावित करता रहा।

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महिलाओं और बच्चों सहित यात्रियों को इस जाम ने विशेष रूप से कष्ट पहुंचाया। मुख्य मार्ग को बंद करके ट्रैफिक को टूटी-फूटी सर्विस लेन पर मोड़ने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई। वहीं, जाम प्रबंधन के लिए तैनात पुलिसकर्मी भी न के बराबर थे, जो कि वीडियो बनाते और बातचीत में व्यस्त थे।

8 किलोमीटर लंबा जाम, 4 हजार वाहन फंसे

इंदौर और देवास के बीच सिक्स लेन बायपास पर चल रहे ब्रिज निर्माण के चलते करीब 8 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। इस जाम में हजारों वाहन फंसे रहे, जिनमें से कई में यात्री बसें और निजी वाहन शामिल थे। 1 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 7 घंटे का समय लग गया। इस दौरान तीन लोगों की जान चली गई, जिनमें एक गार्ड, एक किसान और एक कैंसर रोगी थे। पुलिस प्रशासन, एनएचएआई के अधिकारी और वॉलेंटियर्स ने भी जाम को खोलने में कड़ी मशक्कत की, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर रही।

जाम में फंसे यात्रियों की स्थिति

जाम में फंसे यात्री और निजी वाहन चालक गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे थे। खासतौर पर महिलाएं और बच्चे अधिक प्रभावित हुए। इस दौरान एंबुलेंस और स्कूल बसें भी जाम में फंसीं, जिससे आपात स्थिति में लोगों की जान को खतरा हुआ। ट्रैफिक प्रबंधन के लिए तैनात सिर्फ चार पुलिसकर्मी थे, जो अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय वीडियो बनाने और आपस में बातचीत में लगे रहे। अफसरों के पास इस पूरी व्यवस्था की विफलता का कोई ठोस जवाब नहीं था। ना ही सर्विस रोड की समय पर मरम्मत की गई, ना ही आसपास के गांवों से वैकल्पिक रास्ते बनाए गए, जिससे जाम की समस्या और गंभीर हो गई।

जाम लगने के मुख्य कारण

इस भीषण जाम के पीछे तीन मुख्य वजहें थीं। पहला, ब्रिज निर्माण के कारण मुख्य सड़क बंद कर दी गई और ट्रैफिक को टूटी-फूटी सर्विस लेन पर मोड़ा गया, जो कि हल्के वाहनों के लिए बनी थी। भारी ट्रक, ट्राले और बसें भी इसी लेन पर गुज़रने लगीं, जिससे सड़क की हालत और बिगड़ गई। दूसरी वजह मांगलिया से सांवेर जाने वाले पुराने वैकल्पिक रूट का बंद होना था, जिससे वाहनों के पास कोई और रास्ता नहीं बचा। तीसरी वजह, ब्रिज निर्माण की धीमी गति और बारिश के मौसम से पहले निर्माण कार्य रोक दिए जाने से मुख्य मार्ग बंद हो गया, जिससे ट्रैफिक सर्विस लेन पर दबाव बढ़ गया।

जाम के कारण तीन लोगों की जान चली गई

32 घंटे तक चले इस जाम में फंसे लोगों की जान भी चली गई। 32 वर्षीय गार्ड संदीप पटेल को हार्ट अटैक आया। इसी बीच, बिजलपुर के 62 वर्षीय किसान कमल पांचाल भी तेरहवीं समारोह में जाने के लिए निकले थे, जिनकी भी जाम में फंसे रहने के कारण मौत हो गई। इसके अलावा, शुजालपुर के 55 वर्षीय कैंसर मरीज बलराम पटेल अस्पताल समय पर नहीं पहुंच सके और उनकी भी मौत हो गई।

ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से हुई एक मौत

शुजालपुर से ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ निकले कैंसर मरीज की स्थिति तब और खराब हुई जब सिलेंडर बायपास के जाम में फंसने के दौरान खत्म हो गया। दूसरा सिलेंडर देवास में लगाया गया, लेकिन जाम में फंसी कार में यह भी समाप्त हो गया। परिजन बहुत मुश्किल से मांगलिया तक पहुंचे, लेकिन चोईथराम हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही मरीज ने दम तोड़ दिया। यहां तक कि शव को ले जाते समय भी परिजन जाम में फंसे रहे।

एंबुलेंस के फंसने से हुई तीसरी मौत

जाम के कारण एक और दर्दनाक घटना हुई जब गारी पिपल्या के गार्ड संदीप पटेल को सीने में दर्द हुआ। वे अस्पताल पहुंचने के लिए निकले, लेकिन मांगलिया रेलवे ब्रिज के काम के कारण जाम में फंस गए। एक वैकल्पिक मार्ग भी जाम में था। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखते हुए इंदौर रेफर किया, लेकिन इंदौर तक पहुंचने के लिए भी रास्ते में कई जगह जाम था। तीन घंटे के संघर्ष के बाद संदीप की मौत हो गई।