Indore News : शहर की 34 प्रमुख शराब दुकानों को खरीदने के लिए कोई भी शराब ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहा है, जिससे सरकारी नीलामी की प्रक्रिया को एक बड़ा झटका लगा है। कल आयोजित हुई तीसरी नीलामी प्रक्रिया में इन दुकानों का कोई खरीदार नहीं मिला, और चौंकाने वाली बात ये है कि इन दुकानों के लिए एक भी ठेकेदार ने आवेदन तक नहीं किया। अब, आबकारी विभाग ने इन दुकानों को बेचने के लिए फिर से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसे 13 मार्च को खोला जाएगा।
आबकारी विभाग द्वारा शुरू की गई नई टेंडर प्रक्रिया
इस अप्रत्याशित स्थिति को देखते हुए आबकारी विभाग ने इन दुकानों को बेचने के लिए फिर से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है, और यह टेंडर 13 मार्च को खोला जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत 34 दुकानों को फिर से बेचा जाएगा, लेकिन यह देखना होगा कि क्या शराब ठेकेदार इस बार इन दुकानों को खरीदने के लिए इच्छुक होंगे।

शराब नीति में बदलाव और बढ़ी हुई कीमतों का असर
यह मामला एक नई शराब नीति के लागू होने से जुड़ा है, जिसके तहत शासन ने शराब दुकानों की कीमतों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। व्यापारी इस बढ़ी हुई कीमत को लेकर असहज हैं और उनका कहना है कि नई कीमतों पर दुकानें खरीदना उनके लिए फायदे का सौदा नहीं है। यही वजह है कि शराब व्यापारी इन दुकानों को खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
64 दुकानों का नवीनीकरण और 34 दुकानों का बकाया रह जाना
गौरतलब है कि शासन ने पहले शराब व्यापारियों को इन दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण करने का अवसर दिया था, जिसमें 64 दुकानों के लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए कोई आवेदन नहीं आया। इसके बाद इन दुकानों को लॉटरी के माध्यम से नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, इसमें भी केवल 30 दुकानों की नीलामी हो पाई, और 34 दुकानें बिना खरीदार के रह गईं। इन दुकानों के लिए 4 से 8 मार्च के बीच टेंडर बुलवाए गए थे, और जब उन्हें खोला गया, तो आश्चर्यजनक रूप से एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।
शराब दुकानों के प्रमुख क्षेत्रों का मामला
इस बार की नीलामी में जिन दुकानों को बेचने की प्रक्रिया चल रही थी, उनमें प्रमुख इलाकों जैसे राजबाड़ा, पलासिया, अग्रसेन चौराहा, मालवा मिल, महू नाका, एमजी रोड, जीपीओ चौराहा, पलसीकर कॉलोनी, राजेंद्र नगर, जवाहर मार्ग और ट्रांसपोर्ट नगर की दुकानें शामिल थीं। इन क्षेत्रों में स्थित शराब दुकानों की कीमतें काफी अधिक हैं, लेकिन व्यापारियों का मानना है कि इन दुकानों से जितना लाभ होना चाहिए, उतना नहीं होगा। इस कारण वे इन दुकानों को ज्यादा कीमत पर लेने के लिए तैयार नहीं हैं।
कम बोली का विकल्प नहीं होने से व्यापारी परेशान
एक और समस्या यह सामने आई है कि इस बार पोर्टल पर कम बोली लगाने का विकल्प नहीं है। पहले सरकार कम कीमत पर दुकानों के लिए बोली लगाने का विकल्प देती थी, लेकिन इस बार ऐसे किसी विकल्प का प्रावधान नहीं है। इस कारण व्यापारी जो कम कीमत पर दुकानों को लेने के इच्छुक थे, वे आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि यदि भविष्य में भी इस तरह के टेंडर में कोई आवेदन नहीं आते हैं, तो शायद कम कीमत पर आवेदन का विकल्प खोला जा सकता है, और अगर शासन इसे मंजूर करता है, तो इन दुकानों को कम कीमत पर नीलाम किया जाएगा।